नई दिल्ली। ‘शस्त्रों के वार से ज्यादा जुबानी वार घातक होता है’। इस बात को भला राहुल गांधी, संजय राउत….और अब जाने माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर से अच्छा कौन जानते होंगे। इन लोगों को जुबानी प्रहार की भारी कीमत चुकानी पड़ी है। राहुल गांधी प्रकरण से तो परिचित ही होंगे आप। विगत लोकसभा चुनाव में मोदी समुदाय को चोर करने के मामले में उन्हें अपनी सांसदी से हाथ धोना पड़ा है। उधर, संजय राउत भी विधानमंडल को चोर की मंडली बताकर मुसीबतों को दावत दे चुके हैं। उनके विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का नोटिस शनिवार को ही राज्यसभा भेजा गया है, क्योंकि राउत राज्यसभा सदस्य हैं। वहीं, जावेद अख्तर को लेकर खबर है कि उनके चौखट पर भी मुसीबत दस्तक देने ही वाली है।
जी हां….बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप…आपको बता दें कि मुंबई की एक अदालत ने उनके द्वारा आरएसएस पर की गई टिप्पणी को मानहानि का मामला बताया है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी दिनों में वे कानूनी पचड़े में बुरी तरह फंस जाए। हालांकि, मामले पर सुनवाई जारी है। अब ऐसे में कोर्ट आगे क्या कुछ फैसला देता है। यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में निहित है, लेकिन आइए उससे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर जावेद अख्तर ने आरएसएस के बारे में ऐसी क्या टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर उनके चौखट पर मुसीबत अपनी आमद दर्ज कराने के लिए बेताब हो रही है।
तो यह पूरा वाकया 2021 का है, जब जावेद अख्तर ने एक साक्षात्कार के दौरान आरएसएस की तुलना में तालिबान से कर दी थी, जिसे लेकर आरएसएस समर्थक और अधिवक्ता संतोष दुबे ने मुंबई के मुलुंड कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। जिस पर अभी सुनवाई जारी है। हालांकि, इससे पहले जावेद अख्तर ने अपने बचाव करते हुए कहा था कि विचार रख देने से कोई व्यक्ति अपराधी घोषित नहीं हो जाता है और अगर ऐसा किया जा रहा है, तो आप अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात कर रहे हैं।
जिस पर संतोष दुबे ने अपना पक्ष रखते हए कहा था कि आपको अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी भी विषय पर अपने विचार सार्वजनिक करने के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उसका अपमान करने का नहीं। बहरहाल, पूरा माजरा कोर्ट में विचाराधीन है। अब इस पर आगे क्या कुछ फैसला लिया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन फिलहाल तो कोर्ट ने यह मान लिया है कि जावेद अख्तर ने आरएसएस की मानहानि की है।