नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति का कार्यकाल बढ़ाकर अब बजट सत्र 2025 के अंतिम दिन तक कर दिया गया है। इस प्रस्ताव को बुधवार को लोकसभा में मंजूरी मिल गई। समिति की बैठक में सर्वसम्मति से इस निर्णय पर सहमति बनी। गौरतलब है कि पहले समिति को अपनी रिपोर्ट इसी सप्ताह के अंत तक प्रस्तुत करनी थी।
वक्फ पर बनी जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया गया
बजट सत्र तक अब रिपोर्ट सौंपेगी जेपीसी
अभी कई महत्वपूर्ण स्टेक होल्डर्स से चर्चा होनी है बाकीWatch : https://t.co/a73ow232qu#WaqfBoard #JPCMeeting #Bharat24Digital@iPriyaSinha @jagdambikapalmp @BJP4India pic.twitter.com/UT33Lh79v7
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विपक्ष ने की थी कार्यकाल बढ़ाने की मांग
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि रिपोर्ट लगभग तैयार है और इसे समय पर सदन में पेश किया जा सकता है। लेकिन विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी। विपक्षी नेताओं ने इस विषय में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मुलाकात की थी। बुधवार को हुई समिति की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने कार्यकाल बढ़ाने को लेकर जोरदार हंगामा किया। बैठक के बीच में ही विपक्षी सदस्य बाहर चले गए। तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि समिति का अधिकतर समय सत्तापक्ष से जुड़े लोगों के साथ चर्चा में व्यतीत हुआ और उन राज्यों को बुलाया ही नहीं गया जहां वक्फ संपत्ति सबसे अधिक है। हालांकि, बैठक के बाद सांसदों ने पुष्टि की कि समिति का कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति बन गई है।
Day 4 of the #ParliamentSession | Motion to extend Waqf JPC term adopted.
BJP MP and JPC Chairman, Jagdambika Pal says, “In yesterday’s meeting, we decided that there are 6 states where the properties of the state governments are claimed by the Waqf. There is a dispute between… pic.twitter.com/JhkNPRzXr2
— TIMES NOW (@TimesNow) November 28, 2024
क्या है पूरा मामला?
8 अगस्त को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया था। इसके साथ पुराने निष्क्रिय अधिनियम को हटाने के लिए ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024’ भी सदन में रखा गया था। नए विधेयक का नाम एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम (UMMEED) होगा। हालांकि, इस पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। 9 अगस्त को यह विधेयक विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था।