नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में राष्ट्रपति को निर्देशित करते हुए की गई टिप्पणी पर जारी विवाद के बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कड़े शब्दों में कहा था कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। धनकड़ ने अनुच्छेद 142 को लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ न्यायपालिका के पास चौबीसों घंटे मौजूद परमाणु मिसाइल बताया था। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने धनकड़ के बयान पर पलटवार किया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर आदेश देते हुए कहा था कि विधानसभा द्वारा भेजे गए बिल पर राज्यपाल को एक महीने के अंदर निर्णय लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय की और कहा कि किसी बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने में फैसला करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं है। इस पर नाराज होते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप ने कहा था कि राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका और विधायिका दोनों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण की सीमा पार कर दी है।
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर कैश बरामदगी मामले का जिक्र कर धनकड़ बोले कि जज के घर में कैश मिला तो एफआईआर तक नहीं हुई। ऐसे तो न्यायपालिका ऐसा सुपर संसद बन जाएगा, जिस पर देश का कोई कानून लागू नहीं होगा। वहीं धनकड़ के बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा था कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट को संविधान में अधिकार प्राप्त है कि अगर कोई भी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अपनी सीमा लांघेगा तो उसे रोका जाए। वहीं कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने धनकड़ के बयान कहा था कि जब सरकार को कोई फैसला पसंद नहीं होता वो न्यायपालिका पर सवाल उठाए जाने लगते हैं।