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Jharkhand: 10 घंटे बाद एंबुलेंस मिली, 28 घंटे बाद ड्रेसिंग, रिम्स में भी दवाइयां नहीं थीं: दुमका पीड़ित के घरवालों को सुनिए CM हेमंत सोरेन जी

hemant soren

दुमका। यह खबर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की आंखें खोलने के लिए है। मामला दुमका में जलाकर मारी गई लड़की का है। दुमका का सदर अस्पताल यानी जिले का सबसे बड़ा अस्पताल। साथ में मेडिकल कॉलेज भी। बावजूद इसके सुविधाओं की लचर व्यवस्था। फिर रांची का रिम्स। वो भी झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल। इस अस्पताल में लालू यादव जैसे नेता अपना इलाज करा चुके हैं, लेकिन यहां भी हालात बदतर। नतीजे में दुमका में जलाई गई लड़की का इलाज ठीक से शुरू होने में 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत गया। पहले सदर अस्पताल ले जाई गई। वहां मरहम नहीं था। घरवालों को बाहर से मरहम खरीदकर लाना पड़ा। ये बात 16 साल की उस लड़की के घरवालों का कहना है। उनके मुताबिक पैसे होते, तो वे पीड़ित को प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाते।

लड़की के जीजा ने हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि वे पहले दुमका के सदर अस्पताल ले गए। वहां उसकी ड्रेसिंग तक नहीं हुई। इमरजेंसी से बर्न वार्ड ले जाया गया। वहां सुविधा के नाम पर बेड और पंखा था। एसी लगा था, लेकिन बिना काम का। वहां सलाइन ही चढ़ाया गया। लड़की का इलाज करने वाले डॉक्टर के मुताबिक वो 90 फीसदी जल चुकी थी। प्रोटोकॉल के हिसाब से उसका इलाज सदर अस्पताल में किया गया। यहां के बर्न वार्ड का एसी घटना के बाद ठीक कराया गया है।

पीड़ित के जीजा ने बताया कि कुछ नेताओं को फोन करने के बाद रात 10 बजे रिम्स ले जाने के लिए एंबुलेंस मिली। घटना 24 अगस्त की सुबह हुई थी। शाहरुख नाम के लड़के ने सोती लड़की पर पेट्रोल डालकर उसे आग के हवाले कर दिया था। घरवालों के मुताबिक रिम्स में लड़की की ड्रेसिंग पहली बार हुई। वो भी करीब 28 घंटे बाद। उनका आरोप है कि दुमका सदर अस्पताल से रिम्स को बता दिया गया था कि मरीज आ रहा है। सीरियस है। फिर भी वहां कोई तैयारी नहीं थी। रिम्स में भी जरूरी दवाइयां नहीं थीं। वहां भी बाहर से दवा खरीदनी पड़ी।

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