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OPS And NPS: विपक्ष के एक बड़े मुद्दे की काट निकालने की तैयारी में मोदी सरकार, सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस में दे सकती है ओपीएस जैसा फायदा

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नई दिल्ली। विपक्ष ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को दोबारा लागू करने का दांव चलकर केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी की है। ओपीएस के जरिए सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार को अपने पाले में करने की विपक्ष की ये तरकीब कई जगह काम भी आई है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस को वोट दिया। अब राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में भी कांग्रेस ने ओपीएस लागू करने को चुनावी मुद्दा बनाया है। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में ओपीएस का ये मुद्दा बीजेपी के लिए दिक्कत का सबब बन सकता है। यूपी में 2022 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तो सरकारी कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट में सबसे ज्यादा वोट सपा को मिले थे। सपा ने तब सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की बात कही थी।

अब ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस की जगह 2004 से लागू नई पेंशन योजना यानी एनपीएस में बड़ा बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक एक उच्चस्तरीय कमेटी ने इसकी सिफारिश की है। इससे सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस के तहत आखिरी तनख्वाह का 40 से 45 फीसदी तय वेतन देने का फैसला हो सकता है। हालांकि, ये फैसला इस साल के अंत तक ही लागू हो सकता है। अभी एनपीएस के तहत कर्मचारियों की तनख्वाह से 10 फीसदी रकम कटती है। इसमें सरकार 14 फीसदी रकम हर महीने देती है। कर्मचारी के रिटायर होने के बाद एनपीएस में जमा रकम में से 60 फीसदी टैक्स फ्री मिल जाती है। बाकी 40 फीसदी एनपीएस की रकम पर टैक्स देना होता है। कुल मिलाकर सरकारी कर्मचारी को अपने आखिरी वेतन का 36 से 38 फीसदी ही पेंशन के तौर पर एनपीएस में मिलता है।

सरकारी कर्मचारी इसी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ओपीएस लागू किया जाए। ओपीएस में कर्मचारी की तनख्वाह से एक पैसा भी नहीं कटता था और रिटायरमेंट पर सरकार उनको रकम देती थी। ओपीएस की बात करें, तो उसमें रिटायर होने वाले सरकारी कर्मचारी की आखिरी तनख्वाह का 50 फीसदी मिलता रहा है। अब अगर केंद्र सरकार 40-45 फीसदी पेंशन सुनिश्चित करती है, तो एनपीएस से सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी दूर हो सकती है। हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले कहा था कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से राज्यों पर कर्ज का बोझ पड़ेगा और इससे श्रीलंका की जैसी आर्थिक बदहाली हो सकती है। 2023-24 में केंद्र सरकार पर पेंशन के मद में 2.34 ट्रिलियन रुपए का बोझ है।

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