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उत्तर प्रदेश : निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी हड़ताल पर, सरकार की तरफ से मिला जवाब समझौते पर कायम नहीं रहा संघ

UP Vidyut Karmchari Sanyukt Sangharsh Samiti to protest

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया हुआ है। इस दौरान फॉल्ट की मरम्मत सहित उपभोक्ता सेवाओं से जुड़े कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। यहां तक कि ऊर्जा मंत्री के आवास सहित कई इलाकों में बिजली संकट जारी है। इस बीच ऊर्जा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए पुलिस के पहरे के साथ कई वैकल्पिक इंतजाम किए हैं, लेकिन फॉल्ट के आगे सभी फेल हो गए हैं। वहीं एक तरफ से खुफिया जानकारी मिल रही है कि कर्मचारी किसी भी समय अनिश्चितकालीन हड़ताल और जेल भरो आंदोलन शुरू कर सकते हैं। ऐसे में अब बिजली विभाग के कर्मचारी के द्वारा जारी विरोध को देखते हुए सरकार की तरफ से भी इसको लेकर अपील की गई है। इसमें कर्मचारियों से हड़ताल समाप्त करने और काम पर लौटने को कहा गया है।

इसको लेकर सरकार की तरफ से अपील करते हुए कहा गया है कि प्रदेश की सरकार “सबको बिजली, पर्याप्त बिजली, निर्बाध बिजली” के ध्येय वाक्य पर काम कर रही है। इसके साथ ही सभी बिजली वितरण निगम जो प्रदेश में कार्यरत हैं उनकी सेवाओं को बेहतर करने के साथ अधिकाधिक सेवाओं को ऑनलाइन माध्यम से विस्तार करने के साथ सही समय पर सही बिल उपलब्ध कराने को लेकर भी प्रयास किया जा रहा है।

वहीं सरकार की तरफ से बताया गया कि प्रदेश में निर्बाध 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को लेकर सरकार की तरफ से लगातार प्रयास जारी है। किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए बिजली की सुलभ उपलब्धता को लेकर भी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है और इस मामले में काफी सफलता भी हासिल की गई है। लेकिन लगातार हो रहे वित्तीय घाटे की वजह से उप्र पावर कार्पोरेशन को इस प्रयास में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पा रही है। वहीं प्रदेश में बिजली की चोरी, मीटर की खराबी, बिल का बकाया भुगतान बड़ी संख्या में होना ये भी वजहें रही हैं जिसकी वजह से विद्युत निगम घाटे के दौर से गुजर रहा है ऐसे में इस पर ध्यान केंद्रित कर सेवा विस्तार किया जा सकता है और संबद्ध विभाग को वित्तीय परेशानी से बाहर निकाला जा सकता है। जिसकी जरूरत है।

उत्तर प्रदेश सरकार इतना बड़ा घाटा होने के बाद भी प्रदेश की जनता को ध्यान में रखते हुए इस विभाग के लिए हर साल मोटे अनुदान की व्यवस्था कर रही है ताकि किसी को बिजली की कमी की वजह से परेशानी न हो। 2020-21 के बजट में 12922 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार की तरफ से उर्जा विभाग के लिए प्रावधान किया गया था। ऐसे में प्रदेश सरकार को यह लगता है कि अगर उत्तर प्रदेश विद्युत निगम आत्मनिर्भर हो जाए और अपने खर्च की राशि खुद निकाल ले तो विभाग को दिए जा रहे अनुदान की रकम को प्रदेश सरकार जनता के अन्य कल्याणकारी कामों में खर्च कर सकती है।

ऐसे में प्रदेश सरकार विद्युत निगमों का प्रबंध तंत्र मजबूत कर निगमों को घाटे से उबारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जिसके लिए जरूरी है कि ऐसे विकल्पों पर ध्यान दिया जाए। ताकि विद्युत निगम घाटे की स्थिति से ऊबर पाने में सक्षम हो और सरकार की तरफ से जो मोटी रकम निगम के घाटे को भरने के काम आ रही है वह प्रदेश की जनता के समग्र विकास के कामों और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च हो सके। इसी को लेकर सरकार ने सोचा कि विद्युत निगम का निजीकरण नहीं किया जाएगा बल्कि निगम के अंदर जो सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले डिस्कॉम हैं उनमें निजी सहभागिता को बढ़ावा दिया जाएगा। जिसपर सरकार विचार कर रही है।

जबकि हड़ताल से पहले प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के लोगों के बीच जो बातचीत हुई है सरकार उसी पर काम कर रही है। सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा इस बारे में बता चुके हैं कि निगम की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी। इनको विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। ऐसे में प्रबंधन का मानना है कि विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति द्वारा खुद समझौते का उल्लंघन किया गया और निगम को घाटे से उबारने के लिए प्रयास किए ही नहीं गए। इसकी वजह रही है कि वित्त वर्ष के पहली छमाही में अनुमानित वसूली हो नहीं पाई और अब हालात ये हैं कि इसकी वजह से एक बार और मोटी अनुदान राशि की जरूरत अगले वित्त बजट में निगम के नाम होगी।

इससे पहले सरकार की तरफ से निगम के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था जो 31 मार्च 2021 तक पूरा करना है। इसके अनुसार सरकार की तरफ से निर्धारित लक्ष्य को प्रत्येक माह और 31 मार्च 2020 तक के क्रमिक लक्ष्य को प्राप्त करना होगा। इस पूरे लक्ष्य का समय-समय पर आंकलन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के द्वारा किया जाएगा। साथ ही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण की प्रक्रिया जारी रहेगी। यदि मार्च 2021 तक नियत लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है तो निजीकरण की प्रक्रिया उसी स्तर पर निरस्त कर दी जाएगी। जबकि संघर्ष समिति सरकार के इस मांग को मानने को तैयार नहीं हुई और राजस्व वसूली के मुद्दे पर स्पष्ट कह दिया गया कि यह हमारा विषय नहीं है, यह प्रबंधन की जिम्मेदारी है, इसमें वे केवल सहयोग ही प्रदान कर सकते हैं।

वर्तमान में देश और प्रदेश का शासन/प्रशासन कोविड महामारी से जूझ रहा है विद्युत सेवाएं आवश्यक सेवाओं में आती है ऐसे में इसको बाधित करना गैर कानूनी है ऐसे में हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के द्वारा उत्पन्न की गई स्थिति स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में सरकार की तरफ से संघर्ष समिति कि लोगों से अपील की जा रही है कि वह ऐसे किसी भी हड़ताल को तत्काल समाप्त कर प्रदेश की जनता की सेवा में लगें। सरकार का लक्ष्य प्रदेश की जनता को बेहतर व्यवस्था प्रदान करना है। सरकार प्रदेश भर के विद्युत निगम कर्मचारियों के साथ है उनकी हर बात को समझकर सरकार उनके हित का विभागीय परिधि में ध्यान रखेगी इसका आश्वासन देती है। ऐसे में निगम के कर्मचारी धैर्य रखें और सरकार का सहयोग करें।

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