News Room Post

USCIRF Report: अमेरिकी रिपोर्ट ने की भारत को बदनाम करने की साजिश, बाइडन प्रशासन पहले भी कर चुका है इस दावा को खारिज

PM MODI And bIDEN

नई दिल्ली। भारत की मौजूदा राजनीतिक और धार्मिक स्थिति को लेकर यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद विश्व बिरादरी में भारत को लेकर बहस छिड़ गई है। भारत की राजनीतिक व्यवस्था से लेकर यहां के मौजूदा माहौल को लेकर भी गर्मागर्म बहस देखने को मिल रही है। इस रिपोर्ट को भारत के विरोध में बताया जा रहा है। तो आइए पहले यह जान लेते हैं कि आखिर इस रिपोर्ट मे ऐसा क्या कहा गया है, जिसे अब भारत के विरोध में बताय़ा जा रहा है। उपरोक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएपीए कानून के तहत सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को दबाया जा रहा है। खासकर मुस्लिम वर्ग के लोगों और उन लोगों को जो सरकार के खिलाफ अपने स्वर को मुखर करते हैं। यूपीए कानून के तहत लोगों के मुखर होते स्वर को कुचलने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, विपक्षी दलों की तरफ से इस कानून का विरोध किया था, लेकिन इसके बावजूद भी इसे पारित करवा दिया गया है, जिसका अब भारत सरकार गलत इस्तेमाल कर रही है।

धर्म परिवर्तन कानून पर आपत्ति

इस अलावा रिपोर्ट में धर्म परिवर्तन कानून पर भी आपत्ति जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्मांतरण कानून के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय को परेशान करने की कोशिश की जा रही है। खासकर मुस्लिम और ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है। धर्म परिवर्तन कानून की आड़ में शरारती तत्वों के लोग अपने नापाक इरादों को धरातल पर उतारने में सफल हो जा रहे हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह  यह कानून इंटरकॉस्ट मैरिज को रोकने के लिए लाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार उपरोक्त कानून का सहारा लेकर समाज में जारी इस प्रथा का अपराधीकरण किया जा रहा है। आपको बता दें कि रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिक्र कर कहा गया है कि उनके राज्य में धर्मांतरण के नाम पर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

सीएए कानून को लेकर भी उठाए गए सवाल

इसके साथ ही रिपोर्ट में सीएए कानून को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि सीएए कानून के जरिए धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है।

जहां एक तरफ हिंदू समेत अन्य संप्रदायों के लोगों को नागरिकता प्रदान करने की राह खोल दी गई है, तो वहीं इस कानून से लेकर करीब 19 लाख से भी अधिक मुस्लिमों की नागरिकता खतरे में आ गई है।

कोरोना काल भी किया गया जिक्र  

उपरोक्त रिपोर्ट में यहां तक दावा किया है कि कोरोना काल में मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया गया है। मुस्लिमों को दोयम दर्जे समझा गया है। पूरी स्थिति को इस कदर परिवर्तित कर दिया गया कि मानो कोरोना को लाने का जिम्मेदार इकलौते मुस्लिम ही हैं, और कोई नहीं है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 33 फीसद मुस्लिमों को कोरोना काल में अस्पतालों में भेदभाव का सामना करना पड़ा है।

किसान आंदोलन का निकाला गया आतंकी कनेक्शन

इसके साथ ही बीते हुए किसान आंदोलन आतंकी कनेक्शन से जोड़ा गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में लगातार सरकार के खिलाफ उठ रहे आवाजों को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। इतना ही नहीं, किसान आंदोलन में शामिल हुए किसानों के संबंध आतंकियों से जोड़े गए थे, ताकि स्थितियों को बिल्कुल हमारे विपरीत किया जा सकें। बहरहाल, अभी इस रिपोर्ट को लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। लोग इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।

चलिए, अब तक तो आपने यह जान ही लिया कि आखिर इस रिपोर्ट में भारत को लेकर क्या कुछ कहा गया है। लेकिन क्या आप यह जानने की जहमत नहीं उठाएंगे कि इसकी विश्वनीयता कितनी है। बता दें कि अमेरिकी एजेंसी  यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम की रिपोर्ट को कई मौकों पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ही खारिज कर दिया था। अब आप ही बताइए कि जिस रिपोर्ट को अमेरिकी राष्ट्रपति खुद ही खारिज कर दे रहे हैं, उस पर क्या ही विश्वास किया जा सकता है। और यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब इस अमेरिकी एजेंसी ने भारत के खिलाफ अपना झंडा बुलंद किया हो, बल्कि इससे पहले भी यह कई मौकों पर भारत के खिलाफ अपना झंडा बुलंद कर चुका है।

Exit mobile version