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Chandrayaan 3: चांद पर काम कर रहे भारत के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जानिए इनमें लगे कौन से यंत्र से क्या करने जा रहे इसरो वैज्ञानिक

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बेंगलुरु। चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास बुधवार को सफलता से उतरे भारत के चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर काम करने लगे हैं। विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के कुछ देर बाद उसका रैंप खुला और उससे प्रज्ञान रोवर भी सतह पर उतर गया। अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में लगे यंत्रों के जरिए इसरो के वैज्ञानिक चांद पर कई प्रयोग और खोज की शुरुआत कर चुके हैं। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चांद पर 14 दिन काम करना है। इसके बाद चांद के जिस हिस्से पर ये हैं, वो अंधेरे में डूब जाएगा। 14 दिन तक अंधेरा होने की वजह से यहां तापमान माइनस 300 डिग्री के आसपास हो जाता है। ऐसे में दोबारा जब चांद पर सूरज की रोशनी पड़ेगी, उस वक्त विक्रम लैंडर और प्रज्ञान के फिर काम न करने की संभावना है। ऐसे में इसरो के वैज्ञानिक हर हाल में अगले 14 दिन में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के जरिए हर शोध और खोज पूरा करने में जुटे हैं।

अब आपको बताते हैं कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में ऐसे कौन से यंत्र इसरो वैज्ञानिकों ने लगाए हैं, जिनके जरिए चांद की सतह पर शोध और खोज किए जाएंगे। पहले बात विक्रम लैंडर की करते हैं। विक्रम लैंडर में इसरो वैज्ञानिकों ने 4 यंत्र लगाए हैं। इन यंत्रों के नाम RAMBHA, ChaSTE, ILSA और LRA हैं। रंभा की बात करें, तो ये यंत्र सूरज से चांद पर आने वाली रोशनी में प्लाज्मा कणों के घनत्व, बदलाव और उनकी मात्रा की जांच करेगा। चास्टे नाम का यंत्र चांद पर तापमान को देखता रहेगा। वहीं, आईएलएसए नाम का यंत्र चांद पर आने वाले भूकंपों को दर्ज करेगा। एलआरए नाम का यंत्र लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर है और ये चांद के पूरे आकार-प्रकार और उसकी संरचना की जांच करेगा।

अगर प्रज्ञान रोवर की बात करें, तो इसरो के वैज्ञानिकों ने इसमें दो अहम यंत्र लगाए हैं। प्रज्ञान रोवर में लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप यानी LIBS लगाया गया है। ये चांद पर मौजूद रसायनों और उनकी मात्रा के बारे में शोध करेगा। खनिजों की तलाश भी इसी यंत्र के जरिए चांद पर इसरो के वैज्ञानिक करने वाले हैं। इसके अलावा प्रज्ञान रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर यानी APXS लगा है। ये चांद पर तमाम खनिजों की खोज करने वाला है। माना जाता है कि चांद पर सिलिकॉन, पोटेशियम, अल्यूमिनियम जैसे खनिज हो सकते हैं। बता दें कि भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने 2008 में चांद के ध्रुवों पर पानी की खोज की थी।

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