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Narendra Modi: जेएनयू में विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण, बोले पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रहित में साथ आएं हर विचारधारा के लोग

Narendra Modi JNU

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जेएनयू में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके लिए पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रतिमा के अनावरण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेएनयू के छात्रों को भी संबोधित करेंगे। इस पूरे कार्यक्रम का प्रसारण जेएनयू के फेसबुक पेज पर भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी शिरकत कर रही हैं। जेएनयू के पूर्व छात्रों ने 11.5 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को लगाने का काम 2005 में शुरू किया था। इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए कैंपस में 3 फीट ऊंचा चबूतरा भी बनाया गया है। ऐसे में इस प्रतिमा की ऊंचाई पंडित नेहरू की मूर्ति से लगभग तीन फुट ऊंची हो गई है।

इससे पहले, प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत और संदेश आज भी देश के युवाओं को राह दिखाते हैं और भारत को गर्व है कि यहां पैदा हुई उनकी जैसी महान शख्सियत आज भी दुनिया भर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है।

मुख्य बातें-

स्वार्थ के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी गलत है।

अब इस तरह का अवसरवाद सफल नहीं होता। रोजमर्रा की जिंदगी में हम ये देख भी रहे हैं।

हमें अवसरवाद से दूर स्वस्थ संवाद को लोकतंत्र में जिंदा रखना है।

इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था।

बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था।

जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।

राष्ट्रहित के आगे अपनी विचारधारा के बोझ तले ना दबें

Emergency के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी।

मैं इसका प्रत्यक्ष गवाह हूं।

Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में कांग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे।

आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे।

समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे।

जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं।

आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।

इस कैंपस में एक लोकप्रिय जगह है- साबरमती ढाबा, आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी।

अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है।

जब-जब भारत का सामर्थ्य बढ़ा है, तब तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है।

भारत की आत्मनिर्भरता में आत्मवत सर्वभूतेषु की भावना जुड़ी हुई है, पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है।

अतीत में हमने दुनिया को क्या दिया, ये याद रखना और ये बताना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

इसी आत्मविश्वास के बल पर हमें भविष्य पर काम करना है।

भारत 21वीं सदी की दुनिया में भारत क्या योगदान देगा, ये हम सभी का दायित्व है।

आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे Reforms के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है

आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में Reforms को लेकर क्या बातें होती थीं। क्या भारत में Good Reforms को Bad Politics नहीं माना जाता था? तो फिर Good Reforms, Good Politics कैसे हो गए? इसको लेकर आप JNU के साथी ज़रूर रिसर्च करें

आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के Collective Consciousness का, हमारी Aspirations का हिस्सा बन चुका है

देश का युवा दुनियाभर में Brand India का Brand Ambassador हैं।

हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है।

ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है।

ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे।

मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे।

ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे।

ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया।

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