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What Are Freebies? PM मोदी ने जिसे बताया ‘रेवड़ी’, जानिए आखिर वो है क्या और कितना करता है नुकसान

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज भी जनता को मुफ्त की सुविधाएं देने के मसले पर सुनवाई है। कोर्ट इस बारे में अपनी चिंता पहले ही जता चुका है। कोर्ट ने कहा था कि इस तरह मुफ्त में लोगों को सुविधाएं देना राज्य और देश की आर्थिक स्थिति के लिए घातक है। दिल्ली और पंजाब की सरकारें इस तरह की तमाम मुफ्त सुविधाएं दे रही हैं। इस तरह की मुफ्त सुविधाओं को पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘रेवड़ी’ का नाम दिया है। हालांकि, इसे अंग्रेजी में ‘फ्रीबीज’ कहा जाता है। तो आज हम आपको कुछ प्वॉइंट्स में बताने जा रहे हैं कि फ्रीबीज आखिर क्या है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को किस तरह नुकसान पहुंचने का खतरा है।

-सबसे पहले साल 1920 में अमेरिका में फ्रीबीज शब्द का इस्तेमाल हुआ था। इसका मतलब मुफ्त में दी जाने वाली चीज है।

-भारतीय चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक के मुताबिक फ्रीबीज की परिभाषा कानून में नहीं है। स्वास्थ्य सुविधा, रोजगार, राशन, शिक्षा को दोनों ने ही फ्रीबीज से बाहर माना है।

-रिजर्व बैंक के मुताबिक मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त यातायात, बकाया बिल और कर्ज माफ करना फ्रीबीज में आते हैं। उसके मुताबिक इससे राज्यों और देश की आर्थिक हालत खराब होती है। उनको कर्ज लेना पड़ता है क्रेडिट कल्चर कमजोर होता है। यानी आगे चलकर कर्ज चुकाने और नया कर्ज लेने में दिक्कत हो सकती है।

-1960 के दशक में तमिलनाडु में स्कूली बच्चों को मुफ्त भोजन देने की शुरूआत हुई थी। इसे पहले फ्रीबीज कहा गया। अब यही योजना पूरे देश में मिड-डे मील नाम से है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 2 रुपए किलो कीमत पर चावल दिए जाने की शुरुआत हुई। जो बाद में फूड सिक्योरिटी प्रोग्राम के रूप में देशभर में लागू की गई। तमिलनाडु में मुफ्त दवा देने की योजना फ्रीबीज मानी गई, लेकिन बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के तहत देशभर में ऐसी ही सुविधा दी गई।

-अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अगर कोई राज्य या देश आर्थिक रूप से मजबूत है, तो मुफ्त सुविधाएं देने में हर्ज नहीं है। अगर उसकी माली हालत ठीक न हो, तो अर्थव्यवस्था पर बोझ डालना ठीक नहीं है। इसके अलावा फ्रीबीज से आम टैक्स पेयर्स पर भी बोझ पड़ता है।

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