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What is Foucault’s Pendulum: नए संसद भवन में फौकॉल्ट का पेंडुलम क्या है, कैसे करता है ये काम? जानें यहां

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नई दिल्ली। गत 28 मई को नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन किया गया था। इस नई संसद भवन में सेंगोल भी रखा गया था। सेंगोल का उपयोग इतिहास में चोल राजवंश के द्वारा सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में किया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सेंगोल को नई संसद भवन के लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा गया था। इसे अधीनम संतों की मौजूदगी में  विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद स्थापित किया गया था। नए संसद भवन के निर्माण में तकरीबन 900 करोड़ रुपए की लागत आई है। जिसे लेकर विपक्ष की ओर से सवाल भी उठाए गए थे। दरअसल, नए संसद भवन की निर्माण प्रक्रिया कोरोना काल में शुरू की गई थी। ऐसी परिस्थिति में जब पूरा देश आर्थिक दुश्वारियों से जूझ रहा था। ऐसी स्थिति में केंद्र द्वारा भारी भरकम लागत से नए संसद भवन निर्माण के फैसले की विपक्ष ने आलोचना की थी और इसे सरकार के विरोध में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी। वहीं, नए संसद भवन में लगाए गए फौकॉल्ट पेंडुलम के बारे में हम आपको इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं।

क्या है फौकॉल्ट पेंडुलम?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A नागरिकों से “वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और पूछताछ और सुधार की भावना विकसित करने” का आग्रह करता है। नए संसद भवन में, फौकॉल्ट का पेंडुलम उसी के प्रतीक के रूप में स्थापित है। दुनिया भर में महत्व की इमारतों में इस तरह के प्रतिष्ठान मिलना आम है, जो आगंतुकों को आकर्षित करने का काम करते हैं। फौकॉल्ट का पेंडुलम, जिसे 1851 में फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट द्वारा डिजाइन किया गया था, पृथ्वी के घूर्णन के वैज्ञानिक और दृश्य प्रमाण के रूप में कार्य करता है। कॉन्स्टिट्यूशन हॉल में एक रोशनदान से लटका हुआ, पेंडुलम “ब्रह्मांड के विचार के साथ भारत के विचार के एकीकरण” का प्रतीक है। संसद, नई दिल्ली (28.6° उत्तर) के अक्षांश पर, पेंडुलम को घड़ी की दिशा में एक चक्कर पूरा करने में लगभग 49 घंटे 59 मिनट लगते हैं।

नए संसद भवन में पेंडुलम को कोलकाता में नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम (NCSM) द्वारा डिजाइन किया गया था और कहा जाता है कि यह भारत में इस तरह का सबसे बड़ा टुकड़ा है, जिसकी ऊंचाई 22 मीटर और वजन 36 किलोग्राम है।  ध्यान दें कि अभी त क फौकॉल्ट पेंडुलम को लेकर किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं थी, लेकिन अब इसे लेकर सुर्खियों का बाजार जिस कदर गुलजार हो चुका है, उससे साफ जाहिर है कि आप इसके बारे में सबकुछ समझ गए होंगे। वहीं, अब नए संसद भवन को लेकर जारी सियासी शोर भी थम चुका है, लेकिन बीते दिनों जिस तरह से विपक्ष की ओर से इस पर सवाल उठाए गए थे, सरकार की ओर से उसका मुंहतोड़ जवाब दिया गया था।

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