नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में हार पर मंथन के लिए इसी हफ्ते बैठक बुलाई थी। इस बैठक में अखिलेश के सामने ही पार्टी नेताओं के बीच घमासान शुरू हो गया और वो पार्टी अध्यक्ष के सामने एक-दूसरे की पोल खोलने लग गए। हालांकि अखिलेश यादव ने इस तरह की अनुशासनहीनता पर नाराजगी जताई है। हुआ ये कि लोकसभा चुनाव में मेरठ में सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा की हार को लेकर चर्चा के दौरान पार्टी नेताओं की गुटबाजी सामने आ गई।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सुनीता वर्मा के पति और पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने कहा कि संगठन ने अगर मजबूती से चुनाव लड़ाया होता तो मेरठ सीट आज सपा के पास होती। सरधना विधायक अतुल प्रधान का नाम लिए बिना उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में भीतरघात और गुटबाजी के चलते जीती हुई सीट गंवानी पड़ी। वहीं मेरठ के जिला अध्यक्ष विपिन चौधरी ने योगेश वर्मा पर पलटवार करते हुए कि प्रत्याशी ने मजबूती के साथ चुनाव ही नहीं लड़ा। चुनाव में जिस तरह से लोगों को जोड़ना चाहिए था, वह भी नहीं किया और खर्च पर भी कटौती गई यही हार की वजह रही।
वहीं कुछ पार्टी नेताओं ने विपिन चौधरी को पद से हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि विपिन संगठन को मजबूती के साथ एकजुट करने में विफल हैं। इतना ही नहीं सपाईयों ने विपिन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। आपको बता दें कि मेरठ लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी के रूप में अखिलेश यादव ने पहले सरधना विधायक अतुल प्रधान जो उनके बहुत खास माने जाते हैं, के नाम की घोषणा की थी। मगर बाद में अतुल का टिकट काटकर सुनीता वर्मा को दे दिया था। वहीं हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र के सपा पदाधिकारियों ने पूर्व मंत्री प्रभुदयाल वाल्मीकि पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रभु दयाल बिजनौर के पार्टी प्रत्याशी को मजबूती से चुनाव लड़ाने में विफल रहे और बीजेपी के चंदन चौहान को जीत मिल गई।