नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तराकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की सकुशल वापसी राहत एवं बचाव कार्य जारी है। श्रमिकों की सकुशल वापसी में पूरी रात भी लग सकती है। सुरंग से बाहर आने के बाद सभी श्रमिकों को उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा, क्योंकि बताया जा रहा है कि सुरंग में अत्याधिक ठंड की वजह से सभी की आंखों में सूजन आ गई है। ऐसे में सभी को अस्पताल ले जाना जरूरी है। उधर, पीएम मोदी भी राहत एवं बचाव कार्य से जुड़ी पल-पल की अपडेट के लिए सीएम धामी से फोन के माध्यम से संपर्क में बने हुए हैं। वहीं, सीएम धामी भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने सभ श्रमिकों को सुध दी, लेकिन इस बीच उत्तराकाशी में बाबा बौख नाग देवता को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। आइए, इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर कौन हैं बाबा बौख नाग देवता ?
कौन है बाबा बौख नाग देवता ?
मान्यता है कि यहां बाबा बौख नाग देवता की उत्पत्ति बासगी के रूप में हुई है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण टिहरी जनपद के सेम मुखेम से पहले यहां पहुंचे थे इसलिए हर साल यहां पर मेला लगाया जाता है। इसके अलावा बाबा बौख नाग सिलक्यारा सहित अन्य क्षेत्रों के ईष्ट देव भी हैं। आसपास के लोग अपनी रक्षा के लिए इस मंदिर में पूजा करने आते हैं।
आसपास के लोगों के बीच यह मंदिर बेहद प्रचलित है। इतना ही नहीं, महाशीर्ष के मौके पर यहां प्रतिवर्ष मेले का भी आयोजन किया जाता है। यह भी कहा जाता है कि अगर कोई निसंतान दंपत्ति यहां नंगे बाबा बौख नाथ के दर्शन के लिए जाता है, उसे संतान की उत्तत्ति होती है। इसके साथ ही लोग कई लोग यहां सुख समृद्धि और शांति के लिए भी पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचे बाबा बौख नाग ?
आपको बता दें कि देहरादून से सिलक्यारा गांव की दूरी महज 135 किलोमीटर है। यह उत्तराराश के राडी कफनौल मोटर मार्ग के निकट यह 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।