नई दिल्ली। क्या अरविंद केजरीवाल के लिए नई मुश्किल खड़ी होगी और एक और घोटाले का मामला उनके गले की फांस बनेगा? दरअसल, आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान दिल्ली जल बोर्ड में घोटाला किया गया। इस आरोप की ईडी जांच कर रही है। अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ईडी अब दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में ये जांच कर रही है कि 2 करोड़ रुपए की राशि किन लोगों तक पहुंची। साथ ही जांच एजेंसी ये भी पता कर रही है कि जो 3 करोड़ रुपए की रिश्वत डीजेबी के तत्कालीन चीफ इंजीनियर को मिली थी, उसका असली फायदा किसे हुआ। आरोप है कि आम आदमी पार्टी तक ये रकम पहुंची और उसने चुनाव में इससे फंडिंग की। ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड के कथित घोटाला मामले में फरवरी 2024 में अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता, दिल्ली जल बोर्ड के कई लोगों पर छापे मारे थे।
ईडी अब कथित भ्रष्टाचार के तहत मिली रकम में से 2.01 करोड़ की जांच में जुटी है। आरोप है कि ये पैसा दिल्ली जल बोर्ड के तमाम अफसरों और आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए अलग-अलग लोगों को दी गई। इस मामले में एक आरोपी तजेंदर पाल सिंह हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंट तजेंदर पाल सिंह को दिसंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी गवाह बनाने की मंजूरी दी थी। इससे पहले अगस्त 2024 में सेशन कोर्ट ने सरकारी गवाह बनने की तजेंदर पाल सिंह की अर्जी को खारिज कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने तजेंदर पाल सिंह की ओर से ईडी को दी गई एक पेनड्राइव का उल्लेख करते हुए उनको सरकारी गवाह बनाने की मंजूरी दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि इस पेनड्राइव में कुछ कोड हैं और इन कोड को तजेंदर पाल सिंह ही समझ सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि ईडी इस पेनड्राइव के जरिए दिल्ली जल बोर्ड घोटाला के मनी ट्रेल को हासिल कर सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने तजेंदर पाल सिंह को वायदा माफ सरकारी गवाह बनाने को मंजूरी देते हुए कहा था कि आरोपी से जो सबूत मांगे गए, उनकी क्वालिटी और संख्या को ध्यान में रखते हुए सेशन कोर्ट का ये कहना सही नहीं ता कि अभियोजन एजेंसी की संतुष्टि में दखल दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि ईडी तजेंदर पाल सिंह को गवाह के तौर पर पेश करना चाहती है। साथ ही उनको माफ करने पर भी राजी है।