नई दिल्ली। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी दोपहर 2 बजे सुनवाई है। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट पर आज सबकी नजर है। इसकी वजह ये है कि बुधवार की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अंतरिम आदेश जारी करने की बात कही थी। जिस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उनकी बात सुने बिना कोर्ट अंतरिम आदेश न दे। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अंतरिम आदेश जारी नहीं किया था। आज सॉलिसिटर जनरल को केंद्र सरकार की दलील देनी है और सबकी नजर इस पर है कि क्या उस दलील के बाद वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई के दौरान संकेत दिए थे कि वो वक्फ कानून पर रोक लगाने के मूड में नहीं है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना तीन मसलों पर अंतरिम आदेश जारी करने की बात कह रहे थे, उनमें से एक वक्फ बाइ यूजर है। कोर्ट का रुख था कि जिन संपत्तियों को अदालत ने वक्फ घोषित किया है, उनको डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। दूसरा मसला वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिम सदस्यों का है। कोर्ट इस मसले पर अंतरिम आदेश का संकेत दे रहा था कि इनमें पदेन सदस्य गैर मुस्लिम हो सकते हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अंतरिम आदेश में ये भी जोड़ने के बारे में बात कही कि वक्फ संपत्ति पर कलेक्टर जांच की कार्यवाही जारी रख सकते हैं, लेकिन नए कानून की वो धारा अभी प्रभावी नहीं होगी कि जांच पूरी होने तक संबंधित संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी।
वक्फ संशोधन बिल को 2 और 3 अप्रैल 2025 को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया गया था। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दी थी। जिसके बाद 8 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे लागू कर दिया था। इससे पहले वक्फ संशोधन बिल को अगस्त 2024 में मोदी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था। जिसके बाद इसे सर्वसम्मति से जेपीसी में भेजा गया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि जेपीसी में उनकी तरफ से दिए गए संशोधनों को मंजूर नहीं किया गया। वक्फ संशोधन कानून का विरोध कुछ खास मुद्दों पर है। पहला ये कि वक्फ करने वाला शख्स ये साबित करे कि वो कम से कम 5 साल से इस्लाम मान रहा है। दूसरा कि वक्फ बोर्डों और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिम रखने का प्रावधान क्यों हैं? तीसरा वक्फ बाइ यूजर को खत्म करने पर भी विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों को आपत्ति है।