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Cow Rearing: आप भी पालते हैं गाय?, तो आपके लिए है बड़ी खुशखबरी, मिलेगी आपको ये बड़ी सौगात

नई दिल्ली। आजकल देश में स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं बनाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसी के चलते खेती की लागत को कम करने और रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान को घटाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी तर्ज पर बिहार में भी देसी गायों को संरक्षण देने की योजना बनाई जा रही है। बिहार सरकार मध्य प्रदेश माडल का अध्ययन करके सारे तथ्यों पर विचार करने के बाद गायों के संरक्षण का कोई आदर्श माडल अपनाएगी। इसके तहत गोशालाओं के साथ निजी गोपालकों को भी प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। इस बारे में विचार करने के लिए उपमुख्यमंत्री और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने प्रदेश की सभी गोशालाओं के अध्यक्षों और सचिवों के साथ एक बैठक की। बिहार में गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आत्मनिर्भर बिहार सात निश्चय के तहत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं साथ ही पशु विज्ञान विश्वविद्यालय गोवंश विकास संस्थान की स्थापना पर भी काम जारी है।

बता दें, इस वर्तमान में, बिहार के 33 जिलों में केवल 86 सरकारी गोशालाएं मौजूद हैं। सरकार ने इन सभी गोशालाओं का विस्तृत ब्यौरा मांगने के साथ ही उनकी भूमि, उसकी स्थिति और पशुओं की संख्या आदि की भी जानकारी मांगी है। गौरतलब है, कैमूर, अरवल, बांका, शिवहर और पूर्णिया जिले में अभी एक भी सरकारी गोशाला नहीं है। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर के अनुसार, ज्यादा दूध लेने की होड़ में देसी गायों की उपेक्षा हो रही है। उनके संरक्षण-संवर्धन के लिए बंद गोशालाओं को शुरू कराने और नई गोशालाओं का निर्माण जरूरी है। इसके साथ ही डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य सरकार सीमांचल इलाकों में होने वाली गोवंश की तस्करी को हर हाल में रोकेगी।

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले देसी गोपालकों को प्रतिमाह 900 रुपये देने की घोषणा की है। यानी की प्रति गायपालक 10,800 रुपये सालाना प्राप्त करेगा। MP के इस मॉडल का अध्ययन करने के बाद बिहार सरकार इसे अपना सकती है। इतना ही नहीं, सरकार पशु चिकित्सकों के खाली पदों को भरने के प्रयासों में भी लगी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सक तैनात कर दिए जाएंगे।

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