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जानिए यूपी में लगाए जा रहे इस खास मशीन के बारे में जो फटाफट बता देती है कोरोना रिजल्ट?

लखनऊ। इतनी बड़ी जनसंख्या के बावजूद भी उत्तर प्रदेश ने कोरोनावायरस को काफी हद तक काबू किया हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना के हर एक केस को गंभीरता से ले रही है। मगर उत्तर प्रदेश सरकार की मानें तो गैर कोरोनावायरस संक्रमितों के इलाज में देर हो रही है या इलाज नहीं हो रहा है क्योंकि मरीज़ कोरोना पीड़ित है या नहीं, यह पता करने में काफी समय लगता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आज़मगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण की तेज़ी से जांच के लिए ट्रूनैट मशीन का उद्घाटन किया। अब प्रदेश के 75 ज़िलों में ये मशीन मुहैया करवा दी गई है।

उत्तर प्रदेश में 15 हजार टेस्ट रोजाना हो रहे हैं लेकिन यह क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत बनी हुई है। दूसरी तरफ, आजमगढ़ जिले में एक मई से करीब 86 हज़ार प्रवासी श्रमिक और कामगार लौटे हैं। ऐसे ही अन्य ज़िलों में भी इन हालात में जल्दी से जल्दी किसी मरीज़ में संक्रमण के बारे में जानने के लिए ट्रूनैट मशीन ज़िलों को दी गई है। क्या आप जानते हैं कि यह मशीन क्या है और कैसे फटाफट संक्रमण की पुष्टि करती है?

हां. इस देशी मशीन का इस्तेमाल ड्रग रेसिस्टेंट टीबी की जांच के लिए होता रहा है। अप्रैल के महीने में मेडिकल रिसर्च की भारतीय परिषद यानी ICMR ने इस मशीन को कोविड 19 जांच के लिए मंज़ूरी दी थी। कोविड जांच के लिए इस मशीन को ट्रूनैट बीटा कोविड टेस्ट के लिए मंज़ूरी देने के साथ ही परिषद ने इमरजेंसी के लिए अमेरिका में मंज़ूर GeneXpert और Roche Cobas- 6800/800 जैसे Polymerase Chain Reaction (RT-PCR) सिस्टम को भी मंज़ूरी दी थी।

क्या है ट्रूनैट जांच सिस्टम?
• बैटरी से चलने वाली यह एक छोटी सी मशीन है जिसके लिए थोड़ी सी ट्रेनिंग चाहिए होती है।

• इस टेस्ट के लिए पहले ट्रेंड तकनीशियन पीपीई किट पहनकर गले और नाक के स्वैब के नमूने लेते हैं।

• ट्रूनैट मशीन आधे से एक घंटे के भीतर नतीजा दे सकती है।
• कोविड 19, एचआईवी और टीबी जैसे रोगों के 32 से 48 नमूने यह मशीन एक साथ चला सकती है।
• इस मशीन के कई संस्करण हैं : फोर वे और टू वे। टू वे मशीन 16 से 24 नमूने हैंडल कर पाती है। वहीं, सिंगल वे मशीन एक समय में 8 से 12 नमूनों की प्रक्रिया कर सकती है।
• ट्रूनैट मशीन से जांच की कीमत डेढ़ हज़ार रुपए तक आ सकती है।
• ICMR की मंज़ूरी मिलने के बाद इस मशीन की निर्माता कंपनी मोलबायो डायग्नॉस्टिक्स लगातार राज्यों के संपर्क में है और इन मशीनों के निर्माण में तेज़ी लाए जाने की कोशिशें हो रही हैं।

कैसे होता है ट्रूनैट टेस्ट?
पीसीआर तकनीक के इस्तेमाल से टीबी के बैक्टीरिया या अन्य रोगों के रोगाणु को खोजा जाता है। यह मशीन डीएनए में लक्षण पहचानने की तकनीक का इस्तेमाल करती है और पीसीआर के साथ ही रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पीसीआर करती है। COVID से पहले निपाह वायरस के संक्रमण के समय भी ट्रूनैट जांच को ICMR की मंज़ूरी मिली थी।

कोविड 19 के लिए कैसे मुफीद रही ये मशीन?
इससे पहले निपाह वायरस के संक्रमण के समय भी ट्रूनैट जांच को ICMR की मंज़ूरी मिली थी। अप्रैल 2020 में इस मशीन के निर्माता ने इस कोविड 19 के लिए विकसित किया। यह मशीन ई जीन स्क्रीनिंग पद्धति से जांच करने में सफल पाई गई। फिर भी इस मशीन के ज़रिये अब तक कम जांचें हो सकी हैं, क्यों?

इस टेस्ट पर पूरा विश्वास नहीं?

खबरों के मुताबिक ICMR ने जांच के लिए दो चरण की सिफारिश की है। पहले में स्क्रीनिंग से यह जांच होती है और दूसरे चरण में इस जांच को कन्फर्म करने के लिए लैब जांच करवाई जाती है। यानी ट्रूनैट की विश्वसनीयता पर पूरी तरह संतुष्टि नहीं है या इसे केवल फौरी जांच माना गया है। ट्रूनैट जांच में कोई मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव पाया जाता है तो किसी लैब में आरटी पीसीआर तकनीक आधारित जांच से इसकी पुष्टि कराई जाती है।

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