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नेपाल में लागू होगा नया कानून, चीनी राजदूत अब सीधे प्रधानमंत्री-राष्‍ट्रपति से नहीं मिल सकेंगी

Chinese Ambassador pm oli

काठमांडू। भारत (India) के खिलाफ नेपाल (Nepal) को भड़काने के काम में लगीं चीन (China) की राजदूत हाओ यांकी (Hao yankee) को करारा झटका लगा है। चीनी राजदूत अब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (PM KP Sharma Oli) और राष्‍ट्रपति (President) से सीधे नहीं मिल सकेंगी। दरअसल, नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। इसके तहत अब कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट किसी भी नेता से सीधे मुलाकात नहीं कर सकेगा।

इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया या प्रोटोकॉल और चैनल होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ महीने से नेपाल में सियासी संकट चल रहा है। इस दौरान चीन की राजदूत हाओ यांकी ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी। ओली की सत्‍ता को बचाने के लिए दिन-रात एक करने वाली चीन की राजदूत हाओ यांकी के खिलाफ नेपाल में सड़क से लेकर राजनीतिक गलियारे तक विरोध तेज हो गया था।

भारत के खिलाफ चीनी अजेंडे को सेट करने में जुटीं हाओ

माना जा रहा है कि देश में जारी इस विरोध से सकते में आई ओली सरकार को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बता दें कि पाकिस्‍तान में काम कर चुकीं हाओ यांकी ने नेपाली प्रधानमंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक को अपने इशारों पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है। फार्राटेदार उर्दू बोलने में माहिर हाओ इन दिनों नेपाल में भारत और अमेरिका के खिलाफ चीनी अजेंडे को सेट करने में जुट गई हैं।

चीनी राजनयिकों की नई पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाली ‘वुल्फ वॉरियर’ हाओ ने बेहद कम समय के अंदर के नेपाल के सत्‍ता गलियारों में जोरदार पकड़ बना ली है। उनकी कोशिश है कि किसी भी तरीके से नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को ओली के समर्थन में खड़ा रखा जाए जो इन भारत के खिलाफ लगातार कई फैसले ले चुके हैं। यही नहीं ओली सरकार ने चीनी राजदूत के इशारे पर अमेरिका से मिलने वाली 50 करोड़ डॉलर की सहायता को भी ठंडे बस्‍ते में डाल दिया था।

भारत के सख्‍त रुख के बाद अब ओली के सुर बदल गए

दरअसल, चीन को लग रहा है कि ओली ही वह तुरुप का इक्‍का हैं जिन्‍हें नेपाल में भारत और अमेरिका के प्रभाव को खत्‍म करने के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है। वहीं ओली भी पिछले दिनों लगातार चीनी राजदूत के इशारे पर भारत के खिलाफ जहरीले बयान दे रहे थे। उनकी कोशिश है कि भारत के खिलाफ बयानबाजी करके और कदम उठाकर के चीन को खुश रखें। इससे उनकी सत्‍ता बची रहेगी।

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