नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक फैसले ले रहे हैं। ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के द्वारा लिए गए रिफ्यूजी प्रोग्राम को निरस्त कर दिया है। ट्रंप के इस फैसले से पाकिस्तान के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल बाइडेन के कार्यकाल में रिफ्यूजी प्रोग्राम को शुरू किया गया था, इसके तहत अमेरिका ने पाकिस्तान को भरोसा दिलाया था कि पाकिस्तान में फंसे हुए अफगानी शरणार्थियों को अमेरिका शरण देगा मगर अब ट्रंप ने पूर्व सरकार के इस फैसले को कैंसिल कर दिया।
अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान में शरण लिए हुए शरणार्थियों में ज्यादातर ऐसे नागरिक हैं जिन्होंने अमेरिका के लिए अफगानिस्तान युद्ध लड़ा। जब अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ और तालिबान ने सत्ता अपने हाथ में ली तो बहुत से लोगों ने देश छोड़कर पाकिस्तान में शरण ले ली थी। इन्हीं शरणार्थियों को सेटल करने के लिए अमेरिका ने हरी झंडी दी थी मगर बाइडेन के कार्यकाल में इनका सेटलमेंट हो नहीं पाया। हालांकि अभी तक इस मामले में पाकिस्तान की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है मगर ऐसा माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान की तरफ से ट्रंप के इस का विरोध किया जाता है तो संभवत: दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ सकती है।
इससे पहले पाकिस्तान अपना नजरिया अफगानी शरणार्थियों के लिए साफ कर चुका था कि वो इन्हें हमेशा के लिए अपनी धरती पर पनाह नहीं देगा। अब इन अफगानी शरणार्थियों का भविष्य भी अधर में लटक गया है। पाकिस्तान उन्हें ज्यादा समय तक रखने को तैयार नहीं है, अमेरिका उन्हें शरण देना नहीं चाहता और अगर वो वापस अफगानिस्तान जाते हैं तो उनको अपने और अपने परिवार की सुरक्षा का खतरा है। शरणार्थियों का मानना है कि अमेरिका के पक्ष में काम करने के चलते अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार उनको नुकसान पहुंचा सकती है।