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UNGA में तुर्की के राष्ट्रपति ने उठाया कश्मीर का मुद्दा, तो भारत ने वहीं बता दी औकात

नई दिल्ली। तुर्की अक्सर पाकिस्तान के समर्थन में भारत के खिलाफ बयान देता रहता है। तुर्की के राष्ट्रपति  रजब तैयब एर्दोआन हमेशा कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ वाले बयान देते आए हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर एक बार फिर तुर्की ने कश्मीर का मुद्दा उठाया, तो भारत की तरफ से उसे जमकर फटकार सुनने को मिली। दरअसल पाकिस्तान के दोस्त तुर्की ने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कश्मीर को ज्वलंत मुद्दा बताया। जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय चर्चा में जम्मू-कश्मीर पर की गई तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की टिप्पणियों को ”पूरी तरह से अस्वीकार्य’ बताया। भारत की तरफ से कहा गया कि अंकारा को दूसरे देशों की सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए और अपनी खुद की नीतियों पर गहराई से विचार करना चाहिए। हमें आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘हमनें भारत के केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियां सुनीं। वे भारत के आंतरिक मामलों टी. एस. तिरुमूर्ति में व्यापक हस्तक्षेप करने वाली हैं और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। तुर्की को अन्य देशों की सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए और अपनी खुद की नीतियों पर गहराई से विचार करना चाहिए।’

एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में आम चर्चा में अपने रिकॉर्डेड संदेश में जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा था कि कश्मीर का मुद्दा, ‘जो दक्षिण एशिया की स्थिरता और शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है, वह अब भी एक ज्वलंत मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।’ उन्होंने कहा कि तुर्की  ‘संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के मसौदों के तहत और विशेष रूप से कश्मीर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप, बातचीत के जरिए इस मामले को हल करने के पक्ष में हैं।’

बता दें कि पाकिस्तान के करीबी सहयोगी तुर्की के राष्ट्रपति ने पिछले साल महा सभा कक्ष में उच्च स्तरीय चर्चा में भी कश्मीर का मुद्दा उठाया था। भारत कश्मीर मामले पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को लगातार खारिज करता रहा है और उसका कहना है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों से जुड़े सभी लंबित मामले द्विपक्षीय रूप से हल किए जाने चाहिए।

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