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इजरायली शोधकर्ताओं का दावा, कोविड-19 के जोखिम कम कर सकती है यह दवा

उन्‍होंने कहा कि नोवेल कोरोनावायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।

नई दिल्ली। पूरे विश्व में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रही है। कोरोनावायरस से बचाव के लिए अब दुनियाभर के डॉक्टर मौजूदा उपलब्ध दवाओं से ही इलाज कर रहे हैं। इस बीच इजरायल के हिब्रू विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने कोरोनावायरस की दवा को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्‍होंने कहा कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा ‘फेनोफाइब्रेट’ कोरोना संक्रमण के खतरे के स्तर को सामान्य जुकाम के स्तर का करने में मददगार है। यह दावा संक्रमित मानव कोशिका पर दवा के इस्तेमाल के बाद किया गया।

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विश्वविद्यालय के ग्रास सेंटर ऑफ बॉयोइंजिनियरिंग में निदेशक प्रोफेसर याकोव नाहमियास ने न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में बेंजामिन टेनोएवर के साथ संयुक्त शोध में यह पाया। उन्‍होंने कहा कि नोवेल कोरोनावायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।

नाहमियास ने कहा, ‘हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं यदि उसकी पुष्टि इलाज से जुड़े शोधों में भी होती है तो इस उपचार से कोविड-19 का जोखिम कम हो जाएगा और यह सामान्य जुकाम की तरह हो जाएगा।’ दोनों शोधकर्ताओं ने देखा कि सार्स-सीओवी-2 स्वयं को बढ़ाने के लिए मरीजों के फेफड़ों में किस तरह से बदलाव करता है। उन्होंने पाया कि वायरस कार्बोहाइड्रेट को जलने से रोकता है जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों की कोशिकाओं में वसा का जमाव हो जाता है और यही परिस्थिति वायरस के बढ़ने के लिए अनुकूल होती है।

उन्होंने कहा, ‘इसीलिए मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।’ फेनोफाइब्रेट फेफड़ों की कोशिकाओं को वसा जलाने में मदद करती है और इस तरह इन कोशिकाओं पर वायरस की पकड़ कमजोर हो जाती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस दिशा में महज पांच दिन तक किए गए उपचार से वायरस लगभग पूरी तरह गायब हो गया।

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