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Pakistan Opinion Poll: पाकिस्तान में अगली सरकार किसकी?, ओपिनियन पोल के आंकड़ों से समझिए

Pakistan Opinion Poll: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली मे 70 सदस्य मनोनीत भी होते हैं। सरकार बनाने के लिए 134 सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है। पाकिस्तान में सबसे अहम मुद्दा महंगाई का है। इसके अलावा बेरोजगारी और हमास-इजरायल संघर्ष भी यहं मुद्दा बना हुआ है।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के लिए 8 फरवरी को वोटिंग होनी है। पाकिस्तान में इस चुनाव को लेकर काफी उत्साह है। इसकी वजह ये है कि पूर्व पीएम नवाज शरीफ ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिताकर पाकिस्तान लौट आए हैं। वहीं, दूसरे पूर्व पीएम इमरान खान जेल में हैं। पीएम पद के लिए पाकिस्तान में कई और नेताओं का नाम भी चर्चा में है। इनमें पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के बेटे और पीपीपी के बिलावल भुट्टो जरदारी भी हैं। जनता इनमें से किसे पीएम बनाएगी, ये तो वोटों की गिनती के बाद पता चलेगा, लेकिन जीएनएन ने एक ओपिनियन पोल कराया है और हम आपको बताने जा रहे हैं कि पाकिस्तान की जनता किसे पीएम पद पर देखना चाहती है।

पंजाब प्रांत के ओपिनियन पोल के मुताबिक यहां की 114 सीटों पर नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन को 96 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। सिंध प्रांत की 61 सीटों के ओपिनियन पोल में बिलावल की पार्टी को 35 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। इस्लामाबाद में नेशनल असेंबली की 6 सीटें हैं। इनमें से नवाज की पार्टी को 2 सीटें मिलने का अनुमान है। खैबर पख्तूनख्वा में 45 सीटों में से अन्य के खाते में 35 सीटें जाने का अनुमान लगाया गया है। बलूचिस्तान में नेशनल असेंबली की 16 सीटों में से ओपिनियन पोल में नवाज की पार्टी को 2 और पीपीपी को 5 सीटें, जबकि अन्य को 9 सीटों पर जीतते बताया गया है।

पीएम पद को लेकर जीएनएन ने जो ओपिनियन पोल किया है, उसे मुताबिक 266 सीटों में से नवाज की पार्टी को 107, बिलावल भुट्टो की पार्टी को 55 सीटों पर जीत की भविष्यवाणी की गई है। अन्य के खाते में 104 सीटें जाने की संभावना बताई गई है। इस तरह देखा जाए, तो पाकिस्तान में मिली जुली सरकार बन सकती है और नवाज शरीफ एक बार फिर देश के पीएम बन सकते हैं। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली मे 70 सदस्य मनोनीत भी होते हैं। सरकार बनाने के लिए 134 सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है। पाकिस्तान में सबसे अहम मुद्दा महंगाई का है। इसके अलावा बेरोजगारी और हमास-इजरायल संघर्ष भी यहं मुद्दा बना हुआ है। ओपिनियन पोल से ये भी साफ है कि इमरान खान की पीटीआई को लोग फिर सत्ता देना नहीं चाहते हैं। वैसे भी पीटीआई का नाम चुनाव आयोग ने पार्टियों की लिस्ट से बाहर ही कर रखा है।

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