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तो इस वजह से पाकिस्तान की हुई बेइज्जती, जबकि बुरे वक्त में उसका सबसे अच्छा दोस्त रहा है सऊदी अरब

Saudi Arab Prince Bajwa

नई दिल्ली। पाकिस्तान एक तो वैसे ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है, लेकिन अब उसे इस हालत में भी झटके पर झटके मिल रहे हैं। दरअसल सऊदी अरब, जिसे पाकिस्तान अपना सबसे करीबी समझता था, उस सऊदी अरब ने पाक की फजीहत कर डाली है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब गए थे लेकिन नाराज क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।

सऊदी अरब के तरफ से मिले इस झटके से मतलब साफ है कि पाकिस्तान को मुश्किलों से उबारने वाला उसका सबसे बड़ा दोस्त सऊदी अरब भी अब उसके साथ नहीं रहा। इससे पाकिस्तान की आर्थिक हालत और पतली हो जाएगी। पाकिस्तान इन्हीं सऊदी प्रिंस के विमान को बाहरी देशों की यात्राएं करने के लिए मांगा करता था। जब पाकिस्तान की झोली खाली होती थी, वो तुरंत सऊदी अरब के आगे हाथ फैलाता था और मदद मिल जाती थी।

सऊदी अरब के प्रिंस ने करीब दो साल पहले एक साथ पाकिस्तान और भारत का दौरा किया था, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद ड्राइवर बनकर उनको पीछे बिठाया था। अब ये हाल हो गया। दरअसल पाकिस्तान की सारी चालें इन दिनों उलटी पड़ रही हैं। चीन से उसकी नजदीकियां बहुत भारी पड़ने लगी हैं। वहीं चीन उसका इस्तेमाल करके केवल अपना उल्लू सीधा कर रहा है। बल्कि उल्टे पाकिस्तान बुरी तरह से उसके कर्ज के जाल में फंस चुका है।

जब सऊदी अरब ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दे दिया तो पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा रियाद पहुंचे कि बिगड़ती बाजी को पलट देंगे। लेकिन पाक को वहां भी मुंह की खानी पड़ी। बाजवा ने वहां जाकर बहुत कोशिश की कि रियाद में किसी तरह प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिल लें लेकिन नाराज प्रिंस ने मिलने तक का समय नहीं दिया। अब वो खाली हाथ इस्लामाबाद लौट गए हैं। जहां उनके साथ इमरान खान सरकार की बहुत किरकिरी हो रही है।

दरअसल कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान से सऊदी अरब बेहद नाराज है। कुरैशी ने कहा था कि अगर कश्मीर पर सऊदी अरब साथ नहीं दे रहा है तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को दूसरे मुस्लिम देशों की बैठक बुलानी चाहिए। पाकिस्तान को लगा था कि इस बयान को सऊदी अरब हलके में लेगा लेकिन जब उसने इस पर नाराजगी जताते हुए पाकिस्तान की मदद से पैर पीछे खींच लिए तो इमरान सरकार के हाथपांव फूल गए।

माना जा रहा है कि पिछले दिनों जिस तरह पाकिस्तान ने तुर्की और मलेशिया को साथ लेकर मुस्लिम राजनीति करने की कोशिश की, उसने सऊदी शासकों को नाराज कर दिया। रही-सही कसर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान ने पूरी कर दी। वहीं सऊदी अरब को चीन के चलते ईरान से नजदीकी भी पसंद नहीं आ रही।

पाक और सऊदी अरब के रिश्तों पर विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब चाहता है कि पाकिस्तान साफ तौर पर ईरान विरोधी रुख अख्तियार करे। पाकिस्तान अगर ऐसा करेगा तो चीन को नाराज करेगा। कुल मिलाकर पाकिस्तान बुरी तरह दो पाटों के बीच फंस गया है। इस मुश्किल हालात में पाकिस्तान के लिए समस्या ये भी है कि सऊदी अरब ने अगर कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए तो उसकी हालत खराब होने लगेगी। देखना यही होगा कि पाकिस्तान कैसे सऊदी अरब को मना पाता है, जो अब इतना आसान तो नहीं। इसके लिए उसे सऊदी अरब ईरान के साथ तुर्की और मलेशिया से भी दूरी बनाने की गारंटी देनी होगी।

ये भी देखना चाहिए कि सऊदी अरब और अमेरिकी के बीच बहुत प्रगाढ़ संबंध हैं। लिहाजा पर्दे के पीछे अमेरिका भी होगा, जो किसी भी हालत में चीन-ईरान-पाकिस्तान की धुरी नहीं बनने देना चाहेगा। हालांकि सीधी बात यही है कि चीन इस समय पाकिस्तान और ईरान दोनों की खस्ता हालत का फायदा ले रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने जिस तरह मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी के बहाने सऊदी अरब को निशाना बनाया, उसे अनदेखा करना सऊदी अधिकारियों के लिए आसान नहीं। सऊदी अरब इस बात को कतई पसंद नहीं करेगा कि कोई ओआईसी में उसके नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर।

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