वॉशिंगटन। ईरान के संभावित हमले से निपटने के लिए अमेरिका ने इजरायल को 20 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देने का एलान किया है। अमेरिका इससे पहले भी इजरायल को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता देता रहा है। हालांकि, गाजा में आतंकी संगठन हमास के खिलाफ इजरायल की सैन्य कार्रवाई में बच्चों और महिलाओं की मौत की खबरों के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को सैन्य मदद देने पर रोक लगाने का एलान किया था, लेकिन ईरान के मसले ने उनको फैसला बदलने पर मजबूर किया। अमेरिका ने पहले ही फारस की खाड़ी में विमानवाहक युद्धपोत भेज दिया है। साथ ही अरब देशों में स्थित अपने अड्डों पर अमेरिकी सेना के जवानों की बड़े पैमाने पर तैनाती भी की है।
मध्य-पूर्व में इजरायल ही अमेरिका का सबसे बड़ा दोस्त है। हालांकि, सऊदी अरब और जॉर्डन समेत कई अन्य देश भी मध्य-पूर्व में अमेरिका के मित्र देश हैं। फिर भी इजरायल के खिलाफ उसके सबसे बड़े दुश्मन ईरान के कदमों को देखते हुए अमेरिका लगातार इजरायल की मदद करता रहता है। इजरायल पर अभी ईरान के बड़े हमले का खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह हमास के चीफ इस्माइल हनिया की हत्या है। ईरान का मानना है कि इस्माइल हनिया की हत्या इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने कराई है। ऐसे में ईरान के सबसे बड़े धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने अपने देश की सेना से कहा है कि वो इजरायल के खिलाफ युद्ध की तैयारी करे।
ईरान ने कुछ महीने पहले इजरायल पर मिसाइलें भी दागी थीं, लेकिन इस बार मसला गंभीर है। इस्माइल हनिया की हत्या ईरान की राजधानी तेहरान में हुई है। इस्माइल हनिया की हत्या जब हुई, उस वक्त वो ईरान की सरकार का मेहमान था। इससे ईरान तिलमिलाया हुआ है और इजरायल को सबक सिखाना चाहता है। उसने युद्ध न करने के पश्चिमी देशों के आग्रह को भी ठुकरा दिया है। वहीं, ईरान समर्थित लेबनान का हिजबुल्लाह संगठन भी इजरायल पर लगातार मिसाइलों से हमले कर रहा है। हालांकि, हिजबुल्लाह के हमलों में इजरायल में अभी बड़ा नुकसान होने की खबर नहीं है।