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Who Is Marco Rubio: कौन हैं मार्को रुबियो जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्री पद के लिए चुना, भारत के प्रति सकारात्मक जबकि चीन-ईरान के प्रति रखते हैं आक्रामक रुख

नई दिल्ली। अमेरिका के हाल ही में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को चुनना शुरू कर दिया है और सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो को विदेश मंत्री पद के लिए पसंद किया है। रुबियो के नाम की चर्चा होते ही कई देशों में हलचल मच गई है क्योंकि वे अमेरिका के भू-राजनीतिक विरोधियों – चीन, ईरान और क्यूबा के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, रुबियो का भारत के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक माना जाता है।

कौन हैं मार्को रुबियो?

मार्को रुबियो, फ्लोरिडा राज्य में जन्मे 53 वर्षीय नेता, लातिनी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यदि वह विदेश मंत्री चुने जाते हैं, तो वे इस पद को प्राप्त करने वाले पहले लातिनी बन सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले रुबियो अमेरिका के युवा और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद उनके मंत्रीमंडल में रुबियो सबसे आक्रामक विदेश नीति के प्रतिनिधि साबित हो सकते हैं। उनके विचारों में पिछले कुछ वर्षों में बदलाव आया है, और ट्रंप के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने अपने रुख को थोड़ा नरम भी किया है।

ट्रंप का संयमित विदेश नीति पर जोर

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पूर्ववर्तियों पर अमेरिका को “महंगे और बेकार युद्धों” में झोंकने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अब अमेरिका को एक संयमित विदेश नीति की जरूरत है। ट्रंप के इन विचारों के मद्देनजर रुबियो को सबसे उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है।

बढ़ती चुनौतियों का सामना करेगी ट्रंप सरकार

डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व में संघर्ष, और चीन द्वारा रूस एवं ईरान के साथ बढ़ती नजदीकियाँ, ये सब अमेरिका के लिए गंभीर मसले हैं। रुबियो के पास इस प्रकार के जटिल मुद्दों से निपटने का विशेष अनुभव है, और वह इन पर कड़ा रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं।

यूक्रेन संकट पर रुबियो का दृष्टिकोण

सूत्रों के अनुसार, रुबियो का मानना है कि यूक्रेन को अपनी खोई हुई भूमि को फिर से प्राप्त करने की जगह रूस के साथ बातचीत के जरिये समझौता करने पर ध्यान देना चाहिए। अप्रैल में यूक्रेन को दिए गए 95 अरब डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज के खिलाफ मतदान करने वाले 15 रिपब्लिकन सीनेटरों में से वह भी एक थे। यह चुनाव उनके अलगाववादी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे अमेरिका की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव आने की संभावना है।


लातिनी समुदाय के बीच ट्रंप का समर्थन बढ़ाने की कोशिश

डोनाल्ड ट्रंप ने 5 नवंबर के चुनाव में डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को हराने के लिए लातिनी वोटरों का समर्थन प्राप्त किया है, जो पहले डेमोक्रेट के प्रति निष्ठा रखते थे। ट्रंप अब इस समर्थन को बनाए रखने के लिए लातिनी नेता रुबियो को विदेश मंत्री बनाना चाहते हैं।

रुबियो के चयन से लैटिन अमेरिका को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद

मार्को रुबियो के पुराने सहयोगी मौरिसियो क्लेवर-कैरोन ने कहा कि रुबियो यदि विदेश मंत्री बनते हैं तो वह लैटिन अमेरिका को पहले से अधिक महत्व देंगे। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान लैटिन अमेरिका अमेरिकी नीति का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है।

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