नई दिल्ली। मां शक्ति के उपासक साल भर नवरात्रि का इंतजार करते रहते हैं। उनका इंतजार खत्म हो चुका है और 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो चुका है। आज नवरात्री का तीसरा दिन है। इस दिन मां आदि शक्ति के नौ रूपों में से तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन मां के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। मां दुर्गा का ये चंद्रघंटा रुप बेहद ही सुंदर, मनमोहक और अलौकिक होता है। मां चंद्रघंटा को शत्रुओं का संहार करने वाली देवी माना जाता है। देवी भागवत पुराण के मुताबिक, मां का चंद्रघंटा स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी है। नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा-अर्चना का विधान है। कहा जाता है कि पूरे भक्तिभाव से देवी चन्द्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों पर मां की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा की विधि और उनसे जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां… देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र विराजमान है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकदार है। दस हाथों वाली माता ने अपने हाथों में खड्ग, अस्त्र-शस्त्र और कमंडल धारण किए हुए हैं।
पूजा-विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद मां की पूजा से पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। फिर घर के पूजा स्थल को गंगाजल से स्वच्छ कर उसे पवित्र करें, उसके बाद उस स्थान पर मां चंद्रघंटा का ध्यान कर मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर देवी को धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत के साथ कमल और शंखपुष्पी के फूल भी अर्पित करें। पूजा के बाद घर में शंख और घंटा जरुर बजाएं। ऐसा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं वैसे भी वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी घर में शंख और घंटे की ध्वनि गूंजना काफी शुभ माना जाता है। इनकी ध्वनि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। मां के भोग के लिए दूध या फिर दूध से बनी मिठाई का प्रयोग करें। इसके बाद हाथों में कुछ फूल लेकर मां के मंत्रों का एक माला जाप करें। आखिर में व्रत कथा का पाठ कर आरती करें और मां को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
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