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EMI To Go Up Again: आपके लोन की फिर बढ़ सकती है ईएमआई, महंगाई की वजह से रेपो रेट में इजाफा कर सकता है आरबीआई

रेपो रेट वो दर है, जिसपर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। इसमें इजाफा होने पर आरबीआई से कर्ज लेने वाले बैंकों को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। ऐसे में उनके पास धन की कमी होती है। बैंकों के पास धन कम होने से आम लोगों के हाथ में भी कैश का फ्लो कम हो जाता है। इससे महंगाई की दर नीचे आती है।

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नई दिल्ली। आपके लोन की ईएमआई एक बार फिर बढ़ने के आसार हैं। ये संकेत महंगाई की ताजा दर को देखते हुए मिल रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इसके संकेत दिए हैं। खुदरा महंगाई की दर लक्ष्य से ज्यादा यानी 6.25 फीसदी हो गई है। ऐसे में आरबीआई अगर रेपो रेट में एक बार फिर इजाफा करता है, तो आपके लोन की ईएमआई शर्तिया बढ़ेगी। आरबीआई की तरफ से महंगाई को काबू में करने के लिए पहले भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा चुकी है। अब इसमें 0.25 बेसिस प्वॉइंट का अगर इजाफा हुआ, तो रेपो रेट 6.75 प्रतिशत हो जाएगा।

आरबीआई की दर तय करने वाली एमपीसी की बैठक में इस बारे में विचार हो रहा है। पहले आरबीआई ने 5 बार रेपो रेट में इजाफा किया था। मई 2022 से रेपो रेट में रिजर्व बैंक 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। मई 2022 में उसने रेपो रेट में 0.40 फीसदी, जून 2022 में 0.50 फीसदी, अगस्त 2022 में 0.50 फीसदी, सितंबर में 0.50 फीसदी, दिसंबर 2022 में 0.35 फीसदी और इस साल फरवरी में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इससे महंगाई की दर 7 फीसदी से नीचे आ गई थी। अब फिर महंगाई की दर बढ़ती देख आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर इसे कंट्रोल करने का कदम उठा सकता है।

रेपो रेट वो दर है, जिसपर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। इसमें इजाफा होने पर आरबीआई से कर्ज लेने वाले बैंकों को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। ऐसे में उनके पास धन की कमी होती है। बैंकों के पास धन कम होने से आम लोगों के हाथ में भी कैश का फ्लो कम हो जाता है। इससे महंगाई की दर नीचे आती है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंकों में डिपॉजिट करने वालों को हालांकि फायदा होता है, क्योंकि बैंक सभी तरह के एफडी पर ब्याज की दर भी बढ़ाते हैं। अभी बैंक अपनी एफडी पर 7.10 से 7.30 फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं।

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