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Corona: सरकारी आंकड़ों में हुआ खुलासा- अस्पतालों में भर्ती 62.5 फीसदी कोरोना मरीज़ों की उम्र 40 से कम

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नई दिल्ली। कोरोना की वजह से देश में अब 66 लाख से अधिक मरीज है, वहीं इससे मरने वालों की संख्या 1 लाख से ऊपर जा चुकी है। ऐसे में अब एक सरकारी आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि, देश में 10 में से छह लोगों को कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां आंकड़ां 62.5% है। ये आकंड़ा 2 लाख कोरोना अस्पतालों के विश्लेषण के आधार पर सामने आया है। आपको बता दें कि हैरानी की बात ये है कि इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा युवा पाए गए हैं। बता दें कि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ट्रेंड्स के मुताबिक है, जहां ज़्यादातर संक्रमित युवा हैं, हालांकि जिन लोगों की कोरोनावायरस के चलते मौत हो रही है उनमें ज़्यादातर मरीज़ उम्रदराज़ हैं। पिछले हफ्ते लगभग 1,00000 मौतों के विश्लेषण के मुताबिक भारत में सोमवार तक मरने वालों की संख्या 1,03622 थी। मरने वालों में 53 फीसदी मरीज़ 60 साल की उम्र के हैं। वहीं 88 फीसदी मरीज़ 45 की उम्र से ज़्यादा के थे।

देश में कोरोना के शिकार होने वालों में जो लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं, उन मरीजों में से केवल 9 फीसदी मरीज़ ऐसे हैं जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे। 25.84 फीसदी मरीज़ 21-30 आयु वर्ग के थे। इसके अलावा 31 और 40 की उम्र के बीच 22.48% मरीज़ अस्पताल में भर्ती हुए थे। आंकड़े बताते हैं कि कोरोनावायरस के चलते अस्पताल में भर्ती हुए 2 मरीज़ों में से एक वयस्क था।

कोरोना की वजह से उन लोगों को ज्यादा रिस्क है जो पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों में कोरोनावायरस ज्यादा असरदार देखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक ज्यादा उम्र के पहले से किसी बीमारी से प्रभावित मरीज़ हाई रिस्क पर हैं। अभी तक कोरोना से होने वाली मौतों में कम से कम 70% मौतें हाइपर टेंशन, डायबिटीज, कार्डियक, लिवर या किडनी की बीमारी जैसी स्थिति वाले मरीज़ों की हैं। सरकार की अब कवायद है कि कोरोना के मामलों को देखते हुए ऐसे मरीजों पर नज़र रखी जाए, जिनसे बीमारी का खतरा अधिक है। कुल मिलाकर वर्तमान में 4 मिलियन के करीब लोग सामुदायिक निगरानी में हैं। जिसमें से ज़्यादातर अडल्ट हैं, और कंटेन्मेंट जोन से आते हैं साथ ही इस तरह की बीमारियों से पहले से प्रभावित हैं।

बदलते मौसम को देखते हुए अलर्ट किया गया है कि बदलते मौसम में ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है, क्योंकि सांस से संबंधित बीमारियां मौसम में बदलाव और तापमान में गिरावट के चलते और बढ़ सकती हैं।

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