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कोरोना के खिलाफ जंग में भारतीय वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, 2 दिनों में होगी 50 हजार सैंपल की जांच

नई दिल्ली। कोरोना के मामलों में जांच के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की नई तकनीक ईजाद की है। यह तेज जांच करने का बेहद ही सक्षम तरीका होगा। इसे टीई बफर तकनीक कहते हैं। इसके जरिए महज 2 से 3 दिन में 50 हजार सैंपल की जांच हो सकेगी। ये पहले से ज्यादा सेफ भी है। इसके जरिए डॉक्टर नाक और गले से स्वैब ले सकेंगे।

अब तक दुनिया भर में वायरस की जांच के लिए आरटी पीसीआर को ही सबसे भरोसेमंद माना जा रहा है, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने जांच का एक और तरीका ईजाद कर लिया है। पहली बार एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है जिसके जरिए वायरस का फैलाव कम समय और खर्च में पता लगाया जा सकता है। इसे दुनिया की सबसे तेज जांच भी बताया जा रहा है।

हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी (सीसीएमबी-सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने आरएनए जांच के लिए आरटी पीसीआर की मोडिफाईड तकनीक का पता लगा लिया है। टीई बफर तकनीक के जरिए आरटी पीसीआर की जांच में करीब आधा समय ही लगता है। वर्तमान में एक सेंपल की आरटी पीसीआर जांच के लिए करीब 2 से 3 घंटे लैब में लग जाते हैं। यह नई तकनीक न सिर्फ 40 फीसदी सस्ती पड़ेगी बल्कि 20 फीसदी ज्यादा प्रभावी परिणाम भी मिल सकते हैं।

इस सिलसिले में 40 मरीजों पर अध्ययन किया गया है जो सफल निकला। तेलगंना के सिंकदराबाद स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल आए 40 मरीजों के दो तरह से सैंपल लिए गए। नाक और गले से दो-दो बार सैंपल लेने के बाद एक को वीटीएम में 4 डिग्री तापमान पर रखा गया। जबकि दूसरे सैंपल को ड्राई तरीके से रखा गया है। पहले 14 मरीजों के सैंपल पर जांच की गई इसके बाद 26 मरीजों के सैंपल पर। 14 में से 9 पॉजिटिव सैंपल मिले थे जबकि पांच निगेटिव मिले। इस तकनीकि का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कोरोनावायरस जांच की कीमत 50 से 60 फीसदी कम हो सकती है।

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