News Room Post

RIP Raju Srivastava: 42 दिनों तक कोमा में रहने के बाद हार गए जिंदगी की जंग, जानिए आखिर क्या होता है कोमा में जाने के बाद

नई दिल्ली। मशहूर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने 42 दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ने के बाद आख़िरकार आज अपनी अंतिम सांस ली और दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। राजू को 10 अगस्त को जिम में एक्सरसाइज करते हुए हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। दिल्ली के एम्स में 42 दिनों तक कोमा में रहने के बाद राजू के निधन से आज पूरा देश गमगीन है। अपने फेवरेट कॉमेडियन की मौत से पूरे कॉमेडी जगत और राजू के फैंस में शोक की लहर दौड़ गई है। इस बीच एक सवाल जो सबसे महत्वपूर्ण है कि आखिर उन 42 दिनों में राजू के शरीर ने कैसी पीड़ाएं झेली? लोगों के मन में ये सवाल भी होगा कि आखिर इतने दिनों तक राजू कोमा में कैसे रहें? तो चलिए हम आपको बताते हैं राजू के उन 42 दिनों की दास्तान।

कोमा में क्या होता है

सबसे पहले तो ये जानना जरुरी है कि आखिर कोमा में क्या होता है? मेडिकल साइंस में आप कोमा शब्द सुनते हैं जिसका मतलब होता है किसी भी व्यक्ति का आंख बंद कर के अचेतन अवस्था में पहुंच जाना। इस अवस्था में व्यक्ति आसपास के वातावरण की आवाजें और हलचल आदि पर प्रतिक्रिया देने की हालत में नहीं होता। कोमा में जा चुके व्यक्ति की सांसे तो चल रही होती हैं लेकिन वो कुछ भी करने या बोलने की अवस्था में नहीं होता। हालांकि, मरीज के मस्तिष्क की कुछ गतिविधियां जरूर चलती रहती हैं।

मरीज को ठीक होने में लग सकता है कितना समय

अब आप ये सोच रहे होंगे की ऐसी स्थिति में अमूमन मरीज को ठीक होने में कितना समय लग सकता है तो आपको बता दें कि अगर चोट मरीज को ज्यादा संवेदनशील तौर पर लगी है तो उसे ठीक होने में एक लंबा वक़्त लग सकता है। कई केसेस में ऐसा देखा गए है कि डॉक्टर्स भी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाते हैं कि मरीज कोमा से बाहर निकल भी पायेगा या नहीं। कोमा की अवस्था को गहरी बेहोशी कहना भी गलत नहीं होगा। कोमा के दौरान मरीज के दिमाग में स्टेम प्रतिक्रिया हो सकती है। यही नहीं मरीज की सांसे भी तेज चल सकती है।

कोमा का परिणाम

कोमा में गए व्यक्ति की तीन तरह से अवलोकना की जा सकती है। पहली स्थिति तो ये कि मरीज ब्रेन डेड की अवस्था में जा रहा हो जैसे कि हमारे प्रिय राजू श्रीवास्तव को ब्रेन डेड बता दिया गया था। दूसरी स्थिति कि मरीज सचेतन अवस्था में वापस लौट सकता है और सबसे आखिर कि मरीज वेजीटेटिव स्टेट जैसी लंबी निराशाजनक चेतना अवस्था में भी जा सकता है। इस अवस्था में ऐसा लगेगा की मरीज जाग रहा है लेकिन वह आसपास के वातावरण के प्रति संवेदनहीन हो जाता है। वहीं आपको बता दें कि कोमा में जा चुके मरीज को अंगदान के योग्य भी नहीं माना जाता है।

Exit mobile version