बेंगलुरु। राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार का पतन, पंजाब में सत्ता से दूरी और छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल बनाम मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सत्ता की जंग से परेशान कांग्रेस आलाकमान के लिए अब कर्नाटक ने भी चिंता बढ़ा दी है। कर्नाटक में चुनाव अगले साल हैं और वहां कांग्रेस के दो नेताओं के बीच सीएम पद के लिए जंग लगातार तेज हो रही है। कांग्रेस के ये दो नेता हैं प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया। शिवकुमार और सिद्धारमैया एक-दूसरे के खिलाफ जैसे-जैसे ताल ठोक रहे हैं, वैसे-वैसे कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा होता लग रहा है।
शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच तनातनी की बात नई नहीं है। पहले भी दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। अब डीके शिवकुमार ने अगले चुनाव में सीएम पद का चेहरा बनने की इच्छा जताकर सिद्धारमैया के खिलाफ पहला कदम बढ़ा दिया है। कर्नाटक के वोटरों में सबसे अहम वोक्कालिगा समुदाय है। इस समुदाय के नेता शिवकुमार हैं। वहीं, शिवकुमार के सीएम चेहरा बनने के इरादे पर सिद्धारमैया का गुट लगातार हमले कर रहा है। सिद्धारमैया के करीबी जमीर अहमद ने कहा है कि किसी एक समुदाय के वोट से कोई सीएम नहीं बन सकता। सिद्धारमैया के समर्थक इस बार उनका 75वां जन्मदिन भी ‘सिद्धारमोत्सव’ के तौर पर मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके तहत 3 अगस्त को दावणगेरे में विशाल कार्यक्रम होने वाला है।
बता दें कि कांग्रेस ने साल 2018 में जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी। उससे पहले उसकी खुद की सरकार थी। सिद्धारमैया तब सीएम थे। ऑपरेशन लोटस के तहत जब कुमारस्वामी की सरकार गिरी, तो शिवकुमार मजबूत होने लगे। उन्हें कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा। इसके बाद से ही उनके और सिद्धारमैया के बीच तनाव खुलकर सामने आ गए। अब दोनों ही चुनाव से पहले सीएम पद के लिए मोर्चा खोले हुए हैं।