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Congress: कर्नाटक में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद बदले ममता के सुर, तो अधीर रंजन चौधरी ने दिखा दिया आइना

नई दिल्ली। जब अनवरत नजरअंदाज करने वाला कोई शख्स आपको यकायक अटेंशन देने लग जाए, तो निसंदेह आपके मन में असंख्य प्रश्न उत्पन्न होंगे। कुछ ऐसा ही अभी कांग्रेस के साथ भी हो रहा है। जब से कांग्रेस ने कर्नाटक में बीजेपी को धूल चटाते हुए अपार सफलता हासिल की है, तभी से विपक्षियों के बीच उसे अटेंशन देने की होड़ मची हुई है। कल तक यह कहने वाली ममता बनर्जी कि हमें कांग्रेस की कोई जरूरत नहीं है, आज इल्तिजा कर रही हैं कि मैं कांग्रेस को सपोर्ट करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेहरबानी करके बंगाल मत आइए। बंगाल में मेरे जनाधार के बीच दखल मत दीजिए और रही बात केंद्र की तो, मैं वहां सपोर्ट करने के लिए तैयार हूं, उसकी फिक्र आप मत करिए। दरअसल, इस पूरी स्थिति को परिभाषित करने के लिए हिंदी भाषा की दुनिया में अक्सर एक वाक्य का जिक्र किया जाता है कि ‘समय बहुत अप्रत्याशित है’, यहां कब क्या हो जाए, कह पाना मुश्किल है। कोई संकोच नहीं होना चाहिए यह कहने में कि अभी कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना कांग्रेस को वर्तमान में करना पड़ रहा है।

2014 के बाद जो कांग्रेस हाशिए पर पहुंच चुकी थी कि उसे इस कर्नाटक के चुनावी नतीजों ने प्रफुल्लित कर दिया। 2014 के बाद से जिस कांग्रेस को सभी हिकारत भरी निगाहों से देखना शुरू कर चुके थे, अब कर्नाटक में मिली अपार सफलता के बाद उसी कांग्रेस को देखने का लोगों का नजरिया बदल रहा है। 2014 के बाद जिस कांग्रेस का जनाधार लगातार सिकुड़ता जा रहा था, अलबत्ता उसे कर्नाटक की जनता ने नई उम्मीद दी है और अब उसी उम्मीद की नौका पर सवार होकर पार्टी 2024 की वैतरणी को पार करने की उम्मीद बांध चुकी है।

निसंदेह यह देखना रोचक रहेगा कि आगामी सियासी दंगल में पार्टी की कारागुजारी कैसी रहती है। क्या जो लोग कर्नाटक के चुनावी नतीजों को कांग्रेस के लिए 2024  से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे हैं, उनका यह आकलन वास्तविकता में तब्दील हो पाएगा? बहरहाल, नजरें इन पर बनी रहेंगी, लेकिन आपको बता दें कि आज जैसे ही टीएमसी की सर्वेसर्वा ममता दीदी ने कांग्रेस को इस शर्त के साथ सपोर्ट करने का ऐलान किया कि वो बंगाल में दखल ना दे, उसके बाद कांग्रेस की तरफ प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मोर्चा संभालते हुए ममता को आइना दिखा दिया। खैर, अधीर के दिखाए आइने में अपना रुख देखने के बाद दीदी की क्या प्रतिक्रिया रहती है, यह जानने के लिए आपका आतुर रहना लाजिमी है, लेकिन आइए उससे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा है?

दरअसल, अधीर ने ममता के बयान पर पलटवार कर कहा कि अब कांग्रेस को जीत मिली है, तो ममता को लगता है कि वो कांग्रेस के बिना चल नहीं पाएगी। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान सवाल भी पूछा कि क्या आपने कर्नाटक चुनाव से पहले उन्हें (ममता) यह कहते हुए सुना था कि कांग्रेस को वोट दो, क्योंकि बीजेपी को हराना है। अधीर ने कहा कि ममता बनर्जी यूपी और बिहार उन सभी सियासी दलों की मदद के लिए जाती हैं, जो बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं, लेकिन ममता ने कर्नाटक जाना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि वहां कांग्रेस अकेले ही लड़ रही थी। वहीं, अब जब बंगाल में तेजी से हमारी पकड़ मजबूत होती जा रही है, तो ममता को लग रहा है कि कांग्रेस के बिना हमारा गुजारा नहीं हो पाएगा। हम कांग्रेस के बिना नहीं चल पाएंगे। अभी कुछ दिनों पहले ही हुए उपुचनाव में सागरदिघी में 50 साल बाद कांग्रेस ने टीएमसी को चुनावी मैदान में हार का स्वाद चखाया है।

कर्नाटक में कांग्रेस को मिली अपार सफलता पर ममता ने हमारे नेता राहुल गांधी के बारे में एक शब्द नहीं बोला और ना ही बीते दिनों हुए भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उन्होंने राहुल के बारे में कुछ कहा था, जबकि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूरा विपक्षी कुनबा राहुल की सराहना कर रहा था, लेकिन एकमात्र ममता ने अपने जुबां से एक शब्द भी बोलने तक की जहमत नहीं उठाई। वहीं, अधीर की इस प्रतिक्रिया के बाद ममता की  क्या प्रतिक्रिया रहती है। यह देखना रोचक रहेगा। सनद रहे कि इससे पहले ममता ने कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था, लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि दीदी ने उस वक्त भी राहुल गांधी या कांग्रेस के बारे में एक शब्द भी अपनी जबां से अवतरित करने का कष्ट नहीं किया था। क्या उनके दिल में कांग्रेस के प्रति कोई कुंठा है या कोई द्वेष है? ये तो फिलहाल अब दीदी ही बता पाएंगी।

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