News Room Post

लखनऊ में उपद्रवियों के पोस्टर लगाने पर हाईकोर्ट सख्त, दोपहर 3 बजे तक सुनवाई टली

बता दें कि लखनऊ में दिसंबर में नागिरकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान उपद्रवियों ने लखनऊ में सरकारी संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया था। जिला प्रशासन ने सीएए विरोधी उपद्रवियों की पहचाने के लिए शहर में पोस्टर लगाए हैं।

नई दिल्ली। होर्डिग्स लगाकर नाम उजागर कर शर्मसार करने वाली लखनऊ जिला प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ सुनवाई उत्तर प्रदेश सरकार के आग्रह पर रविवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपराह्न् तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों के नाम उजागर करते हुए जिला प्रशासन ने उनके नाम-पते वाले होर्डिग्स लगाए हैं।

इस मामले को मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से पूछा है कि क्या वह सार्वजनिक स्थान और नागरिक आजादी पर अतिक्रमण नहीं कर रही है। मुख्य न्यायाधीश ने आशा जाहिर की कि अपराह्न् में होने वाली सुनवाई से पहले सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि प्रारंभ में मामले की सुनवाई सुबह 10 बजे होनी थी। जिला मजिस्ट्रेट और मंडल पुलिस आयुक्त को उस कानून के बारे में बताने के लिए कहा गया है, जिसके तहत लखनऊ में होर्डिग्स लगाए गए हैं। लखनऊ जिला प्रशासन ने शुक्रवार को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों के नाम उजागर करते हुए उनकी तस्वीरों के साथ करीब 100 होर्डिग्स लगवाए थे। आरोपियों के नाम, फोटो और आवासीय पते होर्डिग्स पर सूचीबद्ध हैं, जिसके चलते उन पर अपनी सुरक्षा को लेकर भय पैदा हो गया है।

सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए आरोपियों को निर्धारित समय के भीतर भुगतान करने के लिए कहा गया है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उनकी संपत्ति जिला प्रशासन द्वारा जब्त कर ली जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि लखनऊ में होर्डिग्स को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लगाया गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने शुक्रवार की कार्रवाई को सही ठहराते हुए एक दो पन्नों का एक नोट भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए और सभी नियमों का पालन करने के बाद होर्डिग्स लगाए गए हैं।

कार्यकर्ता-नेता सदफ जाफर, वकील मोहम्मद शोएब, थियेटर कलाकार दीपक कबीर और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी एस.आर. दारापुरी उन लोगों में शामिल हैं, जिनके नाम होर्डिग्स पर हैं। सभी जमानत पर रिहा हैं और उन्होंने कहा है कि यदि सरकार उनकी संपत्ति को जब्त करने की कोशिश करती है, तो वे अदालत जाएंगे।

सरकार के कदम को अनुचित बताते हुए सदफ जाफर ने कहा, “मैं फरार नहीं हूं..हमारे नाम और पते उजागर करना निंदनीय है।” दीपक कबीर ने कहा, “हमें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और हम जमानत पर रिहा हैं और अब हम पर दबाव डालने की यह नई चाल है। मुझे जेल में रहते हुए वसूली के संदर्भ में नोटिस मिला। मैंने जेल अधीक्षक के हवाले से पत्र भेजकर सवाल किया था कि जेल में रहते हुए मैं कैसे अपने मामले की पैरवी कर सकता हूं। किसी ने मेरी बात नहीं सुनी और उन्होंने वसूली के आदेश दे दिए।”

गौरतलब है कि प्रशासन के इस कदम की प्रदर्शनकारियों, राजनीतिक पार्टियों, आम नागरिकों, कानूनी विशेषज्ञ सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निंदा की है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से नाम उजागर कर शर्मसार करने वाली इस कार्रवाई की आलोचना की है। होर्डिग्स पर लगी तस्वीरों में से एक तस्वीर नाबालिग की है। उसके परिजनों ने कहा कि वे मामले को लेकर कानूनी कार्रवाई करने का विचार कर रहे हैं। परिवार के एक सदस्य ने कहा, “होर्डिग्स को ‘जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त के आदेशों’ पर लगाया गया है। उन्हें हमें इस बाबत स्पष्टीकरण देना चाहिए।”

वहीं हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि यूपी की भाजपा सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो, आपकी जवाबदेही तय होगी।

 

Exit mobile version