लखनऊ। आम तौर पर ऐसे मामले सामने आते हैं कि कोई महिला अपनी सास और ससुराल के लोगों पर घरेलू हिंसा का केस करवाती है। अब सवाल ये उठता है कि अगर कोई बहू ही सास के खिलाफ हिंसा करने लगे, तो क्या सास अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस कर सकती है? ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में आया और कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। मामला स्मृति गरिमा व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश का है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक माथुर ने मामले की सुनवाई कर अहम फैसला सुनाया है कि कोई महिला अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस कर सकती है या नहीं?
यूपी की राजधानी लखनऊ के एक ट्रायल कोर्ट के समन को बहू और उसके परिवार ने चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि घरेलू हिंसा कानून 2005 के तहत कोई सास भी बहू के खिलाफ केस कर सकती है। कोर्ट ने इसके साथ ही बहू और उसके परिवार के खिलाफ जारी ट्रायल कोर्ट के समन को सही बताया है। हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक माथुर ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून की धारा 12 के तहत कोई भी महिला राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वो महिला शिकायत कर सकती है, जो पीड़ित हो और साझा घर में रहती हो। कोर्ट ने कहा कि अगर सास को बहू या परिवार का कोई सदस्य मानसिक या शारीरिक तौर पर प्रताड़ना दे, तो वो भी पीड़ित की परिभाषा के तहत आएगी।
ट्रायल कोर्ट में दी गई याचिका में सास ने आरोप लगाया कि उनकी बहू अपने पति पर अपने मायके जाकर रहने का दबाव डाल रही है। महिला का ये भी आरोप है कि बहू अपने ससुराल के लोगों से खराब बर्ताव करती है और झूठे केस में फंसाने की धमकी देती है। वहीं, महिला की बहू के वकील का कहना है कि उनकी मुवक्किल ने घरेलू हिंसा और दहेज के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाया है। जिसके जवाब में सास की ओर से याचिका दाखिल की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पहली नजर में लगता है कि सास को प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट की तरफ से समन जारी करना सही है।