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Anand Mohan: नियमों को ताक पर रखकर हुई आनंद मोहन की रिहाई, लेकिन जेल प्रशासन ने साधी चुप्पी, अब उठ रहे हैं गंभीर सवाल

नई दिल्ली। आनंद मोहन की रिहाई के बाद बिहार की राजनीति का पारा गरमा गया है। विपक्षी दल नीतीश सरकार पर हमलावर है, तो वहीं कुछ ऐसे भी सियासी नुमाइंदे हैं, जो कि खुलकर आनंद मोहन की रिहाई का समर्थन कर रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह सहित जीतन राम मांझी जैसे नेताओं ने आनंद मोहन की रिहाई का समर्थन किया है, लेकिन नीतीश सरकार जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन कर तीखी आलोचनाओं का शिकार हो रही है। बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई  जेल नियमों में हुए बदलावों की बदौलत ही मुमकिन हो पाई है। वहीं, खबर है कि आनंद मोहन की रिहाई के वक्त जेल प्रशासन से बड़ी चूक हो गई, लेकिन प्रशासन खामोश है, जिसे लेकर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

किन नियमों का हुआ उल्लंघन

बता दें कि आज सुबह चार बजे पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई हुई। इस बीच उनके समर्थन भी भारी संख्या में मौजूद थे। सुबह तड़के सूरज निकलने से पहले ही उन्हें सलाखों से रिहा कर दिया गया, जिसे नियमों में चूक के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, जेल नियमों के मुताबिक, किसी भी मामले में सजायाफ्ता आरोपी को सूर्य निकलने के बाद ही रिहा किया जाता है। किसी भी कैदी को नाशता कराने के बाद रिहा किया जाता है, लेकिन आनंद मोहन के मामले में ऐसा नहीं हुआ है। दरअसल, उन्हें सुबह चार बजे ही रिहा कर दिया गया, जिसके बाद अब जेल प्रशासन सवालों के घेरे में है, लेकिन अभी तक जेल प्रशासन की ओर से इस पर कोई बयान सामने नहीं आया है। उधर, इसे लेकर राजनीति अलग से शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व राजपूत के वोट बैंक को साधने के लिए आनंद मोहन को रिहा किया है।

किस मामले में हुई थी सजा

गौरतलब है कि आज से 14 साल पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री कृष्णैया की हत्या मामले में फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में उसे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। आनंद मोहन 16 साल तक जेल की सजा काट चुके हैं और अब नीतीश सरकार ने उन्हें रिहा करके बिहार की राजनीति का पारा गरमा दिया है। वहीं, आईएएस एसोसिएशन ने ट्वीट कर नीतीश सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है, जिसमें कहा गया है कि आनंद मोहन ने आईएएस जी कृष्णैय की नृशंस हत्या की थी। ऐसे में यह दुखद है। बिहार सरकार को इस पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए। यह न्यायसंगत फैसला नहीं है। इस तरह के फैसले से लोकसेवकों के मनोबल गिरेगा। हम बिहार सरकार से अपील करते हैं कि अपने द्वारा लिए गए इस फैसले पर पूनर्विचार करें।

रिहाई के बाद बढ़ी आनंद मोहन की मुश्किलें

वहीं, रिहाई क बाद भी आनंद मोहन की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल, पटना हाईकोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन की रिहाई से उन सभी लोकसेवकों का मनोबल गिरेगा, जो कि लगातार राष्ट्रहित में काम कर रहे हैं। इससे पहले दिवंगत डीएम की बेटी और पत्नी ने सामने आकर आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया था और मामले में पीएम मोदी राष्ट्रपित मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की थी।

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