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ASI survey Of Gyanvapi Masjid: इस खास यंत्र से एएसआई करेगी ज्ञानवापी मस्जिद की जांच, पलक झपकते मिलेगी ये अहम जानकारी

Varanasi Gyanvapi Case

वाराणसी। आज से वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे हो रहा है। इस सर्वे को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग यानी एएसईआई कर रहा है। वाराणसी से सिविल जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर और मस्जिद की दीवारों, गुंबदों और वहां कलाकृतियों की जांच की जाएगी। इस जांच को वैज्ञानिक तरीके से कराया जा रहा है। ये जांच ठीक उसी तरह होगी, जैसी अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर श्रीराम जन्मभूमि परिसर में हुई थी। अत्याधुनिक यंत्रों के साथ एएसआई के पुरातत्ववेत्ताओं की टीम ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर जिला जज के कोर्ट को 4 अगस्त तक रिपोर्ट देगी।

इसी तरह के ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर से जमीन के नीचे की चीजों का पता लगाया जा सकता है।

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में जमीन के नीचे क्या है, इसकी जांच ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर से की जाएगी। ये रडार जमीन के नीचे 15 मीटर तक की गहराई में क्या है, ये बता देता है। रडार के जरिए पता चल जाएगा कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे क्या कोई पुराना ढांचा है और अगर कोई ढांचा है, तो वो किस प्रकार का है। कोर्ट ने इसके अलावा जरूरी होने पर खुदाई के लिए कहा है। रडार से जमीन के नीचे किसी प्रकार की संरचना मिलने पर खुदाई कर उसका कालखंड एएसआई के पुरातत्वविद जान सकते हैं। इसके अलावा जरूरी होने पर वहां मौजूद पुरानी लकड़ी और पत्थर के सैंपल लेकर उनकी कार्बन डेटिंग भी एएसआई करा सकती है। कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि संबंधित वस्तु कितने साल पुरानी है। ये अचूक वैज्ञानिक विधि है और इसे पूरी दुनिया में मान्यता हासिल है।

इसके अलावा एएसआई के पास अन्य यंत्र भी होते हैं, जिनकी मदद से सर्वे के काम को आसान किया जाता है और बिल्डिंग के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है। यहां जो भी कलाकृतियां पहले कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में मिली थीं, उनकी जांच भी एएसआई करेगी। कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में मस्जिद के गुंबदों के नीचे शंकु के आकार के गुंबद भी देखे गए थे। शंकु के आकार के इन गुंबदों के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि वे आदि विश्वेश्वर मंदिर के हैं। वहीं, मस्जिद परिसर में दीवारों पर उकरे त्रिशूल जैसे चिन्ह और अन्य कलाकृतियां भी पहले के सर्वे में मिली थीं।

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