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ED Action: प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी कार्रवाई, यूट्यूबर एल्विश यादव और सिंगर फाजिलपुरिया की करोड़ों की संपत्ति अटैच

ED Action: यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब नोएडा पुलिस ने एल्विश यादव को सांपों के जहर की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद ED ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में जांचना शुरू किया। आरोप है कि इस अवैध व्यापार से प्राप्त धनराशि को गैरकानूनी माध्यमों से निवेश किया गया था, जिसके चलते ED ने यह कड़ी कार्रवाई की है।

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने यूट्यूबर एल्विश यादव और सिंगर राहुल यादव ऊर्फ फाजिलपुरिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी करोड़ों रुपये की संपत्तियों और बैंक खातों को अटैच कर लिया है। अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में स्थित कुछ संपत्तियों को इस कार्रवाई के तहत जब्त किया गया है। यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच में उठाया गया है।

पहले हुई थी पूछताछ

इससे पहले, ED ने दोनों हस्तियों से गहन पूछताछ की थी और उनके बयान भी दर्ज किए गए थे। जांच एजेंसी ने लंबी जांच और पूछताछ के बाद यह कार्रवाई की, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में उनकी संलिप्तता और अधिक स्पष्ट हो गई है।


मनी लॉन्ड्रिंग का मामला

यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब नोएडा पुलिस ने एल्विश यादव को सांपों के जहर की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद ED ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में जांचना शुरू किया। आरोप है कि इस अवैध व्यापार से प्राप्त धनराशि को गैरकानूनी माध्यमों से निवेश किया गया था, जिसके चलते ED ने यह कड़ी कार्रवाई की है।

संपत्तियों की अटैचमेंट

ED द्वारा जब्त की गई संपत्तियों की कीमत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है। इसके साथ ही, कुछ बैंक खातों को भी सील कर दिया गया है। ये संपत्तियां मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और हरियाणा में स्थित हैं, जहां दोनों हस्तियों की हिस्सेदारी पाई गई है। मामले की जांच फिलहाल जारी है, और अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।

एल्विश यादव पर दर्ज मामले की स्थिति

एल्विश यादव पर नोएडा पुलिस ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। हालांकि, एल्विश ने इन आरोपों को निराधार और फर्जी बताया था। पुलिस ने बाद में NDPS के आरोप हटा लिए थे, यह कहते हुए कि यह एक त्रुटि के कारण हुआ था।

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