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Opposition Unity: विपक्षी दलों के वादों की काट तैयार कर रही बीजेपी! सूत्रों के मुताबिक दिसंबर तक कई बड़े फैसले संभव

modi rajnath nadda amit shah

नई दिल्ली। 2024 का महा दंगल यानी लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है। इस महादंगल में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए विपक्षी दल एकता का राग अलाप रहे हैं। 23 जून को पटना में विपक्षी दलों के नेताओं की बड़ी बैठक है। इसमें 15 विपक्षी दलों के नेताओं के जुटने की बात कही जा रही है। वहीं, बीजेपी भी विपक्षी दलों की इस बैठक पर नजरें गड़ाकर बैठी है। विपक्षी दलों की बैठक का रूप-रंग देखकर ही बीजेपी अपनी अगली रणनीति बनाएगी। फिलहाल पार्टी का सारा फोकस राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव जीतने पर ही है।

सूत्रों के मुताबिक संसद के मॉनसून सत्र से लेकर जनवरी 2024 तक बीजेपी और मोदी सरकार तमाम बड़े फैसले लेकर विपक्षी एकता की काट निकाल सकते हैं। विपक्ष की तरफ से अब तक कुछ मसलों पर ही चुनाव लड़ते हुए देखा जा रहा है। इनमें मुफ्त बिजली, मुफ्त अनाज, पुरानी पेंशन योजना और महिलाओं के हाथ में हर महीने कुछ रकम देना शामिल है। सूत्रों का कहना है कि विपक्ष की इस रणनीति पर बीजेपी आलाकमान की नजर है और रेवड़ी बांटने वाली विपक्ष की इस ताजा रणनीति को टक्कर देकर उसकी कोशिश को धूल धूसरित करने की तैयारी पर मंथन जारी है।

मोदी और बीजेपी विरोधी विपक्षी एकता की बात भले हो रही है, लेकिन इसमें कई दरारें भी पहले से ही दिख रही हैं। मसलन अखिलेश यादव लगातार ये बयान दे रहे हैं कि यूपी में सभी 80 लोकसभा सीटें समाजवादी पार्टी जीतेगी। बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के इकलौते विधायक को तोड़कर टीएमसी में शामिल करा दिया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का उद्धव गुट सीटों के बंटवारे पर अभी एकराय होता नहीं दिख रहा है। पहले भी कई बार महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। विपक्ष अभी ये भी तय नहीं कर सका है कि मोदी के खिलाफ उसका पीएम चेहरा कौन होगा। हालांकि, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का कहना है कि 1977 में भी तो पीएम का कोई चेहरा नहीं था और मोरारजी देसाई पीएम बन गए थे। शायद शरद पवार ये भूल रहे हैं कि इमरजेंसी से त्रस्त जनता ने उस वक्त इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने का मन बना लिया था। फिलहाल देश में ऐसा कहीं नहीं दिखता कि जनता मोदी को हटाने के लिए तत्पर बैठी है। ऐसे में 23 जून की बैठक के बाद पता चलेगा कि विपक्षी दलों का रुख क्या है। इसके बाद ही एलानों और वादों की जंग नए सिरे से दोनों पक्षों के बीच छिड़ने की संभावना है।

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