नई दिल्ली। सीएए नागरिकता लेने नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ये बात साफ कर चुके हैं कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वो किसी भी धर्म का हो। इसके बावजूद कुछ लोगों के द्वारा सीएए को लेकर लगातार भ्रम फैलाया जा रहा है। मुस्लिम देश कतर के प्रमुख चैनल अलजजीरा ने भी सीएए को मुस्लिम विरोधी बताते हुए अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। पीआईबी फैक्ट चेक में भी ये बात सही साबित हुई है कि अलजजीरा सीएए को लेकर भ्रामक जानकारी फैला रहा है।
Misinformation is being spread by @AJEnglish regarding the Citizenship Amendment Act, calling the act 'anti-Muslim'#PIBFactCheck
▶️This claim is misleading!
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— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 12, 2024
आपको बता दें कि सीएए को लेकर कुछ लोगों ने कहा कि यह नागरिकता छीनने का कानून है। इस कानून के जरिए तीन देशों के आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी लेकिन भ्रम ये फैलाया गया कि भारत से कुछ विशेष वर्ग जैसे कि शरणार्थी मुस्लिमों को निकाल दिया जाएगा। इस पर सरकार का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिम को धर्म के आधार पर सताया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, इसी कारण गैर-मुस्लिम यहां से भागकर भारत आए हैं, इसलिए गैर-मुस्लिमों को ही सीएए में शामिल किया गया है। मुस्लिम शरणार्थियों को पूर्व के कानून के तहत ही नागरिकता प्रदान की जाएगी। गौरतलब है कि सीएए को लेकर काफी समय से चल रही आपाधापी पर सोमवार को उस समय विराम लग गया जब केंद्र सरकार की ओर सीएए लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके तहत तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
▶️CAA will not take away citizenship of any Indian citizen irrespective of religion. It's not against any single religion/ community
▶️It's an enabling law only to provide citizenship to persecuted minorities from neighboring countries – Afghanistan, Pakistan & Bangladesh
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— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 12, 2024