नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर गंभीर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है। केंद्र सरकार के मुताबिक सिमी पर लगे प्रतिबंध को हटाया नहीं जाना चाहिए। केंद्र का कहना है कि सिमी का इरादा भारत में इस्लामी शासन की स्थापना करना है। जिसकी मंजूरी कतई नहीं दी जा सकती। बता दें कि सिमी पर लगा प्रतिबंध हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई है। इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। जिसपर केंद्र ने अदालत में सिमी पर गंभीर आरोप लगाते हुए हलफनामा दिया है।
सिमी को काफी साल पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके बड़े नेता सफदर नागौरी समेत तमाम कारकूनों को गिरफ्तार कर जेल में रखा गया है। पिछले दिनों जब केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाया, तो ये खुलासा हुआ था कि पीएफआई में भी प्रतिबंधित सिमी के तमाम नेता शामिल हुए थे। पीएफआई का एक दस्तावेज भी बिहार में छापेमारी के दौरान सामने आया था। इस दस्तावेज में भी कहा गया था कि भारत को साल 2047 तक इस्लामी शासन वाला देश बनाना है।
सिमी के खिलाफ अब केंद्र सरकार के इस हलफनामे के बाद संगठन पर से प्रतिबंध हटना मुश्किल लग रहा है। बता दें कि सिमी पर पहले भी कई जगह हिंसा भड़काने का आरोप लगता रहा है। इसका कार्यक्षेत्र यूपी, मध्यप्रदेश और अन्य राज्य रहे हैं। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में काफी कमी भी आई थी। अब पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई कर केंद्र सरकार भारत को इस्लामी देश बनाने के इरादों से निपटने का काम कर रही है। पीएफआई के बाद उसके कारकून कई और संगठन बनाने की कोशिश में जुटे थे। जिन पर भी केंद्र सरकार ने पिछले साल ही प्रतिबंध लगा दिया था।