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Chandrayaan 3: चांद के सफर पर निकला चंद्रयान-3, जानें भारत के लिए क्यों है ये खास?

नई दिल्ली। जिंदगी क्या है? जिंदगी लम्हों का गुच्छा है। लेकिन कुछ लम्हें हमें ताजिंदगी याद रहते हैं, क्योंकि वो हमारे लिए खास होते हैं। आज हर हिंदुस्तानी ने अपनी जिंदगी की एक ऐसे ही खास लम्हें की अनुभूति प्राप्त की है। दरअसल, आज चंद्रयान -3 की सफलतापूर्वक लाॉन्चिंग इसरो ने की है। यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। हमने विफलत से सफलता तक का पड़ाव तय किया है। साल 2019 में चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग कुछ तकनीकी खामियों की वजह से विफल हो गया था, जिसका गम में के सिवन की आंखों में आंसू के रूप में देखने को मिला था और इसके बाद पूरे देश ने उस दृश्य को देखा था कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने के सिवन को दिलासा दी थी। वहीं, आज चंद्रयान-3 की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग हुई तो इसरो के सभी वैज्ञानिकों की आंखों में आंसू दिखे, लेकिन ये खुशी के आंसू थे। आइए, आगे आपको चंद्रयान – 3 की कुछ खास बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिनके बारे में अब तक आपको नहीं पता होगा।

चंद्रयान -3 की खास बातें

सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि चंद्रयान -3 40 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर पर सॉफ्ट लैंड करेगा। इसके अलावा चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट 179 किलोमीटर ऊपर तक ले जाया गया है। इसके बाद चंद्रयान -3 अंतरिक्ष पर भेज दिया जाएगा। चंद्रयान -3 का काउंटडाउन कल रात आठ बजे ही शुरू हो गया था। एलवीएम3-एम4 रॉकेट यहां स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे ‘लॉन्च पैड’ से अपराह्न 2.35 बजे निर्धारित समय पर धुएं का घना गुबार छोड़ते हुए अद्धभुत ढंग से आकास की ओर रवाना हो गया।

जानें चंद्रयान 3 की खासियत

वहीं, अगर चंद्रयान -3 की खासियत की बात करें, तो इस बार इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में छोड़ा है। इससे पहले चंद्रयान -2 को 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था। इस बार इस कक्षा का चयन इसलिए किया गया क्योंकि चंद्रयान -3 को लॉन्चिंग की आवश्यकता थी।

अगस्त माह के अंत में होगी चंद्रयान -3 की सॉफ्ट लैंडिंग

इसके अलावा अगस्त माह के अंतर में चंद्रयान -3 की सॉफ्ट लैंडिंग होगी। यह निकट भविष्य में अंतरग्रही अभियानों के लिए सहायक साबित होगा। वहीं, चंद्रयान -2 की बात करें, तो इसमें एक एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल होगा। इसका उद्देश्य ही अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है।

क्यों है चंद्रयान -3 खास, जानें यहां

दरअसल, चंद्रयान -3 पूर्व में लॉन्च किए गए चंद्रयान -2 से इस लिहाज से अलग है कि यह एलवीएम3 की चौथी अभियानगत उड़ान है। इसका उद्देश्य भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है। अगर हम इसमें सफल रहे , तो निसंदेह यह हमारे लिए बड़ी सफलता होगी। वहीं, इसरो ने इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अंतरग्रही अभियानों सहित अधिकतर जटिल अभियानों को पूरा करने में भी सहायक साबित होता है। आइए, आगे जानते हैं कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का उद्देश्य क्या है?

क्या है चंद्रयान -3 की लॉन्चिंग का उद्देश्य

वहीं, चंद्रयान -3 की लॉन्चिंग का मुख्य उद्देश्य चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना है। इसके अलावा रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और था स्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना। बहरहाल, अब आगामी दिनों में चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद अगला पड़ाव कैसा रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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