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Maharashtra: ‘छेड़ोगे तो छोड़ोंगे नहीं’….लाउडस्पीकर पर छिड़ी बहस के बीच PFI नेता का भड़काऊ बयान

Matin Sekhani

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई है। एक धरा जहां मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाकर अजाने पढ़ने का विरोध कर रहा है, तो वहीं दूसरा धरा इसका समर्थन कर रहा है। लाउडस्पीकर को लेकर बहस की शुरुआत महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी के चीफ राज ठाकरे ने यह कह शुरू की थी कि अगर मस्जिद में लाउडस्पीकर से अजान देने का सिलसिला बंद नहीं हुआ, तो विरोध में लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा पढ़ा किया जाएगा। हालांकि, इसके बाद उन्होंने मनसे कार्यालय में बकायदा लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा भी बजवाया था। अब इसी मसले को लेकर पीएफआई नेता मतीन शेखानी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें छोड़ेगो तो हम छोड़ेंगे नहीं। उन्होंने यह बयान मस्जिद में लाउडस्पीकर बजाकर अजान देने के संदर्भ में दिया है। पीएफआई नेता ने धमकी भरे में लहजे में यह बयान दिया है। हालांकि, इसके बाद मतीन ने अपने दिए बयान से गुलाटी मार ली है। उन्होंने एक टीवी चैनल से वार्ता के क्रम में कहा कि उन्होंने कोई भी इस तरह का विवादित बयान नहीं दिया है, जिससे सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचे।

उधर, इस पूरे मामले को सज्ञान में लेने के बाद अब महाराष्ट्र पुलिस शेखानी के खिलाफ मामला दर्ज कर चुकी है। बता दें कि शेखानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 135  और 137 के तहत केस दर्ज किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि अब शेखानी अपने उक्त बयान को लेकर पुलिस की रडार में आ चुके हैं। ऐसे में अब उन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि कहीं वे अपने नापाक इरादों को धरातल पर उतारने में कामयाब न हो जाए। ध्यान रहे कि इससे पहले भी कई मौकों पर पीएफआई के नेता हिंसा भड़काने के मामले में सामने आ चुके हैं।

इससे पहले राजधानी दिल्ली में सीएए को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान भी पीएफआई का नाम सामने आया था। कथित तौर पर पीएफआई  सीएए के विरोध में राजधानी दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़काने का काम किया था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, वर्तमान में कुल 23 राज्यों में पीएफआई की गतिविधियां चल रही हैं। उधर, मतीन के इस बयान के बाद पुलिस और जांच एजेंसियां सतर्क हो चुकी है। बता दें कि लाउस्पीकर को शुरू हुई बहस का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब ऐसे में यह बहस कहां जाकर विराम लेती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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