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Chhatrapati Shivaji Maharaj’s Statue Unveiled On The Banks Of Pangong Tso Lake : लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण, चीन को संदेश

नई दिल्ली। 14,300 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के तट पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया गया। वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय के प्रतीक शिवाजी की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण 26 दिसंबर को लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला एससी, एसएम, वीएसएम, जीओसी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स और मराठा लाइट इन्फेंट्री के कर्नल के द्वारा किया गया। इस दौरान फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स और मराठा लाइट इन्फैंट्री के बड़ी संख्या में जवान वहां मौजूद रहे। पैंगोंग त्सो झील के किनारे स्थापित शिवाजी की इस विशाल प्रतिमा को भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Ladakh: On 26 Dec 2024, a statue of Chhatrapati Shivaji Maharaj was inaugurated on the banks of Pangong Tso at an altitude of 14,300 feet. The towering symbol of valour, vision and unwavering justice was inaugurated by Lt Gen Hitesh Bhalla, SC, SM, VSM, GOC Fire and Fury… <a href=”https://t.co/Kc06twlnnj”>pic.twitter.com/Kc06twlnnj</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1872982745804341390?ref_src=twsrc%5Etfw”>December 28, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

पैंगोग लद्दाख में स्थित भारत और चीन की सीमा (एलएसी) का क्षेत्र है। पैंगोंग त्सो झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में आता है जबकि पूर्वी क्षेत्र चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में है। पैंगोग का इलाका कई बार सुर्खियों में रहा है। यहां एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच कई बार संघर्ष हो चुका है। यहीं पर 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद 2020-21 में भी यहां भारत और चीन के सैनिकों की जबर्दस्त भिड़ंत हो गई थी।

सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत मजबूत कर रहा इंफ्रास्ट्रक्चर

हाल ही में चीन और भारत के बीच समझौता हुआ है जिसके तहत दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग में अपनी-अपनी सेना को पीछे बुला लिया है। इस समझौते के बाद से एलएसी पर तनाव कुछ कम हुआ है। हालांकि भारत लगातार लद्दाख समेत सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जुटा हुआ है। ऐसे में वीरता और अदम्य साहस के प्रतीक छत्रपति शिवाजी की यह प्रतिमा न केवल भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाएगी बल्कि इससे चीन को एक संदेश भी जाएगा कि भारत अपनी संप्रुभता से समझौता नहीं करने वाला।

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