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Akhilesh Yadav: कांग्रेस से ख़फ़ा अखिलेश यादव, इंडिया गठबंधन में दरार!, अखिलेश यादव के बयान से लगाए जा रहे हैं ऐसे कयास

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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दलों ने बीजेपी को परास्त करने के मकसद से इंडिया नामक गठबंधन का गठन किया है, जिसमें एक या दो नहीं, बल्कि कई दल शामिल हैं। सभी का मकसद है 2024 के चुनाव में बीजेपी के विजयी रथ को रोकना। इस दिशा में अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन मौजूदा परिदृश्य को देखकर लग रहा है कि अब तक हुई बैठकों में नेताओं के बीच एकराय नहीं बन पाई है। अगर एकराय बन जाती, तो आज सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस तरह के बयान नहीं दे रहे होते। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर अखिलेश यादव ने ऐसा कौन सा बयान दे दिया है?, जिसे आप इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं के बीच मौजूदा सियासी मतभेद के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। आखिर माजरा क्या है? जरा कुछ खुलकर बताएंगे, तो चलिए आगे कि रिपोर्ट में हम आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं।

जानें पूरा माजरा

दरअसल, आज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि “अगर ये मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है INDIA का तो कभी मिलने नहीं जाते हमारी पार्टी के लोग और न ही हम कभी सूची देते कांग्रेस के लोगों को। गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उसपर विचार किया जाएगा।”

अखिलेश ने क्यों दिया ये बयान

अब आप समझिए कि आखिर अखिलेश यादव ने ऐसा बयान क्यों दिया। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव को लगा था कि यह गठबंधन राष्ट्रीय के साथ-साथ राज्य की राजनीतिक हितों को साधने के मकसद से भी गठित किया गया, लेकिन कथित तौर पर अब उन्हें खबर मिली है कि यह गठबंधन महज राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी को परास्त करने के मकसद से गठित किया गया है और राज्य की राजनीति से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसी पर आज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उक्त बयान दिया है, जो कि अभी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।

यहां समझिए राजनीतिक समीकरण

दरअसल, इंडिया गठबंधन में एक या दो नहीं, बल्कि कई दल शामिल हैं। सभी का मकसद है राष्ट्रीय राजनीति से बीजेपी को बेदखल करना, लेकिन राज्य की राजनीति में आकर इन्हीं दलों के हित और मकसद अलग हो जाते हैं। इसे आप ऐसे समझिए। मसलन, राष्ट्रीय स्तर पर जहां कांग्रेस और आदमी पार्टी बीजेपी को पराजित करने के मकसद से इंडिया गठबंधन में शामिल हो चुकी है, लेकिन पंजाब में आकर दोनों ही दलों की सियासी राहें अलहदा हो जाती हैं । राष्ट्रीय राजनीति में जहां दोनों ही एक मंच पर नजर आते हैं, लेकिन राज्य की राजनीति में एंट्री लेने के बाद दोनों के सुर और ताल अलग हो जाते हैं।

उधर, अखिलेश यादव के बयान से ऐसा लग रहा है कि उन्हें ये बात अब समझ में आई है। शायद पहले उन्हें लगा था कि इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों का मकसद देश के साथ-साथ राज्य की राजनीति में भी समान है, लेकिन अब उन्हें कांग्रेस से मिल रहे मौजूदा संकेत को ध्यान में रखते हुए यह एहसास हो चुका है कि राज्य में दोनों ही दलों राहें अलहदा हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में अखिलेश यादव सियासी मोर्चे पर क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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