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Assam election: कांग्रेस का नया बवाल, ‘असम बचाओ’ कैंपेन में ताइवान के चाय बगान की तस्वीर का किया इस्तेमाल, हुए ट्रोल

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के साथ ही असम में भी विधानसभा चुनाव होना है। वहां कांग्रेस का मुकाबला सत्तारूढ़ भाजपा के साथ है। ऐसे में उत्तर-पूर्व में कांग्रेस एक बार फिर से अपनी जमीन तलाशने की होड़ में पूरे देमखम से लग गई है। कांग्रेस की यहां की कमान इस बार संभाली है प्रियंका गांधी ने। बता दें कि प्रियंका इससे पहले यूपी के अलावा पार्टी के प्रचार के लिए किसी भी अन्य राज्य में नहीं पहुंची थीं। ये पहला मौका होगा जब कांग्रेस की तरफ से प्रियंका को तारणहार बनाकर असम के चुनावी मैदान में प्रचार की कमान सौंपकर पार्टी ने भेजा है।

असम पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा भी कांग्रेस की जमीन राज्य में वापस दिलाने के लिए हर जतन कर रही है। कभी वह चाय के बगानों में चाय की पत्तियां तोड़ती नजर आती हैं। कभी स्थानीय बच्चों से बातचीत करती तो कभी वहां के स्थानीय आदिवासियों के साथ नाचतीं। मतलब साफ है कि प्रियंका लोगों से जुड़ने के लिए हरसंभव कोशिश में लगी हुई है। ताकि पार्टी को उनके द्वारा किए गए चुनाव प्रचार का फायदा मिले और पार्टी की स्थिति राज्य में मजबूत हो सके।

इस सब के बीच प्रियंका गांधी की तस्वीर के साथ कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से एक ऐसी तस्वीर ट्वीट कर दी गई जिसपर भाजपा सहित सोशल मीडिया के लोग खूब मौज ले रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से दो तस्वीरें ट्वीट की गई एक में प्रियंका चाय के बगान में चाय की पत्तियां तोड़ रही हैं वहीं दूसरी तस्वीर एक चाय बगान की ट्वीट की गई। लेकिन जो दूसरी तस्वीर इसमें ट्वीट की गई वह ताइवान के चाय बगान की है।


इस तस्वीर के शेयर होते ही कांग्रेस को असम की सत्ता से बाहर कर उनकी पार्टी से ही निकलकर भाजपा में शामिल और असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने जमकर मजे लिए और सवाल भी उठाया। उन्होंने कांग्रेस के इस ट्वीट के द्वारा जो तस्वीर पोस्ट की गई है उसे असम के लोगों का अपमान बताया। सरमा ने लिखा असम बचाओ अभियान में ताइवान के चाय बगान की तस्वीर क्या कांग्रेस के नेताओं को असम की भी पहचान नहीं है? हेमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह असम राज्य के साथ ही चाय बगान के मजदूरों का भी अपमान है।

आपको बता दें कि कांग्रेस की तरफ से प्रचार का जिम्मा संभाल रही प्रियंका गांधी ने चाय बगान के मजदूरों से इस बात का वादा किया है कि अगर यहां उनकी सरकार आती है तो वह चाय बगान के मजदूरों के दैनिक देय मानक को बढ़ाएगी।

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