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कोरोना के इलाज में रामबाण साबित हो सकती है ये आयुर्वेदिक दवा, रिसर्च का दावा

नई दिल्ली। विश्वभर के वैज्ञानिक कोरोनावायरस का इलाज ढूंढने की कोशश कर रहे हैं। ये महामारी दुनिया के लगभग हर कोने तक पहुंच चुकी है और इसकी वजह से 50 लाख से ऊपर लोग संक्रमित हुए हैं। लेकिन भारत ने काफी हद तक इतनी बड़ी जनसंख्या के बावजूद इसपर काबू पाया है।

कोरोना जैसी महामारी में जहां अब तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है ऐसे में भारत में आयुर्वेद का सहारा लिया जा रहा है। भारत की इस प्राचीन चिकित्सा पद्धिति के सहारे कोरोना का इलाज संभव हो सकता है। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि ये दावा है आईआईटी दिल्ली और जापान के वैज्ञानिकों का है।

आईआईटी दिल्ली और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (AIST) द्वारा की गई रिसर्च में पाया गया है कि अश्वगंधा और प्रोपोलिस यानी शहद की मक्खी से एकत्रिक गोंद में ऐसे तत्व हैं जिनकी मदद से कोरोना का इलाज संभव है।

अश्वगंधा में पाए जाने वाले विथानोन कम्पाउंड और प्रपोलिस में मौजूद कैफीक एसिड फिनेथाइल ईस्टर में SARS-CoV-2 में मौजूद Mpro एंजाइम की गतिविधियों को रोकने की क्षमता है। रिसर्च टीम के मुताबिक अश्वगंधा और प्रोपोलिस का इस्तेमाल न सिर्फ थेरेपी के लिए बल्कि संक्रमण को रोकने में भी कारगर साबित होगा।

आईआईटी दिल्ली के बायोकैमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर सुंदर का कहना है कि भारत में आयुर्वेद का प्रचलन हजारों साल से है। आईआईटी दिल्ली और एआईएसटी के वैज्ञानिक एक दशक से आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान और प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर काम कर रहे हैं।

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