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Bihar Political Turmoil: बिहार में सियासी भूचाल के बीच आज बैठकों का दिन, जानिए नीतीश के लिए बीजेपी से ‘खेला’ करना कितना आसान?

modi and nitish

पटना। बिहार में उठे सियासी भूचाल में आज बैठकों का दिन है। सत्तारूढ़ जेडीयू ने आज विधायकों की बैठक बुलाई है। वहीं, विपक्षी आरजेडी की भी बैठक होने वाली है। आरजेडी के साथ महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के विधायकों की भी आज बैठक होगी। वहीं, हम पार्टी के चीफ जीतनराम माझी ने भी अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक आज ही बुलाई है। सिर्फ सत्ता में शामिल बीजेपी ही अकेली ऐसी बड़ी पार्टी है, जिसकी कोई बैठक आज नहीं है। चर्चा है कि सीएम नीतीश कुमार आज जेडीयू विधायकों की बैठक में उनका मन टटोलकर तय करेंगे कि बीजेपी से पल्ला छुड़ाकर वो एक बार फिर आरजेडी का दामन थामेंगे या नहीं।

 

आने वाले कुछ घंटों में बिहार के इस सियासी भूचाल की तस्वीर साफ होने के आसार हैं। हालांकि, आरजेडी और कांग्रेस ने साफ कहा है कि अगर नीतीश कुमार बीजेपी का दामन छोड़ते हैं, तो महागठबंधन में उनका स्वागत होगा। बता दें कि पहले भी नीतीश ऐसा करके सरकार चला चुके हैं। वहीं, चर्चा इसकी भी है कि जेडीयू से इस्तीफा देने वाले पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के जरिए बिहार में भी बीजेपी महाराष्ट्र की तरह ‘खेला’ करने की तैयारी में है। हालांकि, बीजेपी के राज्य पदाधिकारियों से लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक बिहार की सियासी जंग पर अपनी जुबान से एक शब्द नहीं निकाला है।

बिहार विधानसभा में सियासी गणित की बात करें तो यहां 243 विधायक हैं। बहुमत का आंकड़ा ऐसे में 122 होता है। विधानसभा में 79 विधायकों के साथ आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है। इसके बाद बीजेपी के 77, जेडीयू के 45, कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टी के 12, एआईएमआईएम के 1, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम के 4 और अन्य विधायक हैं। नीतीश अगर बीजेपी का साथ छोड़ते हैं, तो उनको सरकार बचाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत होगी। ये संख्या आरजेडी से ही पूरी हो जाएगी। बता दें कि पिछले कुछ वक्त से नीतीश और आरजेडी चीफ लालू यादव के परिवार के बीच रिश्ते एक बार फिर दोस्ताना हुए हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को अपने आवास पर रोजा इफ्तार के लिए भी बुलाया था। जिसमें नीतीश गए भी थे। वहीं, बीजेपी के लिए सरकार बनाना आसान नहीं है। उसे इसके लिए 45 विधायक अपने साथ लाने होंगे। यानी कुल मिलाकर नीतीश की राह आसान है, लेकिन बीजेपी के लिए खेला करना उतना आसान नहीं है।

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