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Uttarakhand: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर धामी सरकार ने बनाई ड्राफ्टिंग कमेटी, ऐसा करने वाला बना पहला राज्य

नई दिल्ली। पता ही होगा आपको कि बीते दिनों उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान किस तरह बीजेपी ने प्रदेशवासियों से वादा किया था कि अगर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी, तो सर्वप्रथम ‘समान नागरिक संहिता’ को लागू करने की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। किसी ने इसका विरोध किया था, तो किसी ने समर्थन, लेकिन अब बीजेपी प्रदेश में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने का मन बना ही चुकी है, लेकिन अगर ये सब पढ़ने के बाद आप मन ही मन समान आचार संहिता को लेकर परेशान हो रहे हैं कि आखिर ये क्या है, तो आप परेशान मत होइए, क्योंकि हम आपको इसके बारे में भी तफसील से बताएंगे, लेकिन उससे पहले आप ये जान लीजिए कि आखिर उत्तराखंड सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में प्रदेश के विभिन्न कारकों का गहन अध्ययन करेगी, जिसके तदउपरांत प्रदेश में समान नागरिक आचार संहिता लागू करने की दिशा में कदम उठाया जाएगा। बता दें कि समान नागरिक आचार संहिता को लागू करने दिशा में कदम उठाने वाला उत्तराखंड देश  का पहला राज्य बना है।

चलिए आपको बता दें कि उक्त समिति में न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई, न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर, प्रशासनिक अधिकारी शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया है, जो कि प्रदेश में समान नागरिक आचार संहिता लागू करने की दिशा में समस्त रूपरेखा को तैयार करने की दिशा में अहम किरदार अदा करेंगे। ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रचार के दौरान बीजेपी ने अपनी चुनावी रैलियों में वादा किया था कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार आने में सफल रही, तो सबसे पहले समान नागरिक आचार संहिता लागू की जाएगी। अब इस दिशा में प्रदेश सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है। आज राज्य सरकार द्वारा लिखित इस पत्र पर राज्यपाल ने अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि आगामी दिनों मे इस दिशा में क्या कुछ कदम उठाएं जाएंगे। चलिए, अब ये तो रही ताजा अपडेट, लेकिन विदा होने से पहले आप ये जान लीजिए कि आखिर समान नागरिक आचार संहिता क्या है?

तो आपको बता दें कि समान आचार संहिता के लागू होने के उपरांत प्रदेशवासी सरकार द्वारा बनाए गए कानून का अनुपालन करने के प्रति बाध्य रहेंगे, चूंकि अमूमन लोग अपने मजहबी कायदों को अधिक तरजीह देते हुए संविधान में प्रावधान किए गए नियमों को दरकिनार करने से गुरेज नहीं करते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए पिछले काफी दिनों से यूनियन सिविल कोड लागू किए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। बीते दिनों विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ये मसला काफी सुर्खियों में रहा था। अब ऐसी स्थिति में ये देखना होगा कि उत्तराखंड में यूनियन सिविल कोड लागू होने के उपरांत वहां की राजनीति में क्या कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट. कॉम

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