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Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर बोले किसान नेता, प्रशांत भूषण सहित चार वकीलों से बातचीत के बाद लेंगे आगे का निर्णय

Farmers Protest and Supreme Court

नई दिल्ली। किसान आंदोलन की आग सड़क से संसद और संसद से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट में आज में आज इस मामले पर सुनवाई हुई और अदालत ने इस मामले में कोई फैसला तो नहीं सुनाया लेकिन इतना जरूर कहा कि वह इस मामले में कमेटी का गठन करने का विचार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदलन को वाजिब ठहराते हुए कहा कि किसानों के विरोध-प्रदर्शन के अधिकार सही है। लेकिन विरोध प्रदर्शन अहिंसक होना चाहिए और इससे किसी अन्य रको किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसका भी ध्यान रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को लेकर कहा कि वह किसानों की दुर्दशा और जिस तरह से चीजें हो रही हैं, उसे लेकर चिंतित हैं।

वहीं इस मामले पर सरकार की तरफ से भी अपना पक्ष रखा गया। हलांकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कमेटी के गठन की बात से किसान ज्यादा संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं पंजाब के किसान नेताओं का इस मामले में कहना है कि उनका अब किसी भी कमेटी पर विश्वास नहीं है। वहीं किसान संगठनों ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में खुद दखलंदाजी कर मामले का एक समुचित हल निकालना चाहिए। क्योंकि किसान नेताओं को लगता है कि अगर मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है तो यह लंबा खिंच सकता है।

वहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस आंदोलन में कोई भी मास्क नहीं पहन रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी कोई पालन नहीं हो रहा है ऐसे में जब वह लोग आंदोलन खत्म करने के बाद गांव जाएंगे तो वहां कोरोना फैलाएंगे। ऐसे में किसानों को दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं।

वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई कई बुद्धिजीवियों को रास नहीं आ रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन पर सुनवाई की पहल को मोदी सरकार को बचाने वाला बताया है। प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट समिति के गठन के जरिए किसानों के विरोध के संबंध में सरकार की मदद करना चाहता है।


अब इस सब के बीच राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक के वी बीजू ने सिंघू सीमा से कहा, ‘आज हमारी समिति ने सर्वोच्च न्यायालय में मामले के बारे में निर्णय लिया। हम चार वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट के वकीलों प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, एचएस फूलका और कॉलिन गोंसाल्वेस से इस मामले में परामर्श करेंगे।’ इसके बाद ही इस मामले में हमें आगे क्या करना है इस पर निर्णय लिया जाएगा।

अब ऐसे में समझ में आ रहा है कि इस आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की पहल के बाद लगने लगा है कि इसका कुछ ना कुछ हल निकल जाएगा। ऐसे में कानूनी परामर्श के जरिए इस बात को जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है। ताकि आंदोलन अनवरत जारी रहे और सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी रह सके।

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