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Farmers Protest: आज सरकार और आंदोलनकारी किसानों में फिर होगी बातचीत, पंजाब में उग्राहां गुट ने रेल रोको का किया एलान

farmers agitation file

नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा के शंभु बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के जत्थे अब तक डटे हुए हैं। वे प्रदर्शन के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं। वहीं, हरियाणा ने शंभु बॉर्डर पर बड़ी तादाद में पुलिस लगा रखी है और किसानों को किसी सूरत में दिल्ली की ओर न जाने देने का फैसला किया है। उधर, दिल्ली पुलिस ने भी सभी बॉर्डर सील कर रखे हैं। इससे किसानों और पुलिस के बीच टकराव लगातार होने की खबरें बीते 2 दिन से आती रही हैं। इन सबके बीच आज फिर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत होनी है। शाम 5 बजे चंडीगढ़ में केंद्र की तरफ से मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय किसान संगठनों से बात करेंगे।

किसान नेता ये उम्मीद जता रहे हैं कि केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत में कोई हल जरूर निकलेगा, लेकिन उनका ये भी कहना है कि बातचीत करने वाले मंत्रियों से खुद पीएम नरेंद्र मोदी चर्चा करें। किसान नेताओं के मुताबिक इससे समस्या का हल निकलने की उम्मीद बढ़ेगी। किसान नेता पुलिस की कार्रवाई से भी असंतुष्ट हैं। किसानों को रोकने के लिए बल प्रयोग किए जाने के दौरान हरियाणा के 24 पुलिसकर्मियों के चोटिल होने की खबर पहले आई थी।

एक तरफ जहां किसानों और केंद्र सरकार के बीच तीसरे दौर की बातचीत होने जा रही है। वहीं, पंजाब के भारतीय किसान यूनियन उग्राहां गुट ने आज राज्य में रेल रोकने का एलान किया है। उग्राहां गुट ने कहा है कि गुरुवार को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बठिंडा-बरनाला, लुधियाना-जाखाल-दिल्ली, राजपुरा-दिल्ली और अमृतसर-फतेहगढ़ साहिब रूट पर ट्रेनों को चलने नहीं दिया जाएगा। उग्राहां गुट का कहना है कि किसानों पर वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। ये कतई नामंजूर है। किसान संगठन कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संबंधी नए कानून की वापसी, डब्ल्यूटीओ संबधी मांग, 58 साल के हर किसान को हर महीने 10000 रुपए की पेंशन और पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस वापस लेने संबंधी मांग शामिल हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा पहले ही कह चुके हैं कि आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त नहीं करना चाहिए और सरकार सभी मांगों पर विचार कर रही है। अर्जुन मुंडा ने ये भी कहा है कि हड़बड़ी में कोई फैसला सरकार नहीं कर सकती। इससे भविष्य में सवालिया निशान खड़े हो सकते हैं।

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